Wednesday, November 19, 2025
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रेगिस्तानी पौधे पानी कैसे बचाते हैं?

दूर दूर तक फैली धूल भरी जमीन,आत्मा तक को सुखा देने वाली तपती दोपहरी!पानी का नामोनिशान तक नहीं।

ऐसे में आप कल्पना कीजिए,रेगिस्तान में जड़े जमाये हुए पौधों के बारे में!इस झुलसा देने वाले माहौल में भी कैसे हरा रंग ओढ़े रहते हैं?

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पर्यावरण ने इस विशेष परिस्थिति के लिए भी कुछ पौधों को अवश्य चुना है।लेकिन मन में ये प्रश्न उठता जरुर है,कि आखिर रेगिस्तानी पौधे पानी कैसे बचाते हैं?

आइए इस ब्लॉग में जानते हैं। इन सूखासहनशील पौधों के रेगिस्तान में जिन्दा रहने के लिए की गई कोशिशों के 7 मुख्य तरीके।  

रेगिस्तानी पौधों की तीन मुख्य रणनीतियाँ (succulence, drought tolerance, drought avoidance)

रेगिस्तानी पौधे कैसे जीते हैं?इसे समझने के लिए इन डेजर्ट प्लांट्स द्वारा अपनाई जाने वाली 3 खास रणनीतियाँ है। जो हमें उनके जीवन चक्र को समझने में मदद करती है। 

1 Succulence(रसयुक्तता)

कैक्टस और यूफोर्बिया जैसे पौधों को देखा होगा आपने,इन पौधो की मांसल और गूदेदार पत्तियाँ और तने होते हैं। 

रेगिस्तान में पानी को बचाने के लिए पौधे अपने रसभरे तनों में पानी का संग्रहण करके रखते हैं।और लम्बे समय तक जीवित रहते हैं।

इन पौधों की न के बराबर पत्तियाँ होती हैं।जो कि तेज धूप होने पर भी पानी के वाष्पीकरण होने से बचाव का एक सुरक्षात्मक तरीका है।

2 Drought tolerance(सूखे को सहन करने की क्षमता)

रेगिस्तान के तपिश भरे वातावरण को सहन करने और अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए पौधे सूखे को सहन करने की क्षमता का विकास करते हैं।

इस क्रम में पेड़ पौधे मिट्टी में अपनी जड़े लगभग 50 मीटर गहरे तक उतार देते हैं। जिससे उन्हें भयंकर शुष्क माहौल में भी पोषण मिल सके,खेजड़ी और बबूल ऐसे ही पेड़ हैं।

इन पौधों में पत्तियों की बनावट भी छोटी होती है। ताकि वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया धीमी हो सके। 

कुछ पौधे सूखे से बचने के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। ताकि पानी का संग्रहण तने में हो सके,और पौधा लम्बे समय तक जीवन यापन कर सके जब तक बरसात न हो।

3 Drought avoidance(सूखे से बचाव)

सूखे से बचाव करने के लिए रेगिस्तानी पौधे बरसात आने से पहले ही अपना जीवन चक्र पूरा कर लेते हैं।और मिट्टी में बीज बन कर अपना अस्तित्व बनाये रखते हैं। 

फिर जैसे ही बरसात होती है।बीज खुद से ही अंकुरित हो जाते हैं।इस तरह ये पौधे निरंतर पाना जीवन यापन करते हैं। 

इसी प्रकार के पौधे का उदहारण है गोखरू का पौधा। 

आइए जानते हैं।और क्या चालबाजियां करते है,ये पौधे टिके रहने की श्रंखला में।

शुष्क-क्षेत्रों-में-कैक्टस

1 पानी स्टोर करना(जैविक भण्डारण)

डेजर्ट प्लांट की बनावट ही उन्हें कम पानी में जीवित रखने के लिए मजबूती प्रदान करती है। 

दरअसल इन पौधों में पेरेंकाईमा नामक कोशिकाएं होती हैं।जो कि पौधों में जल को इकठ्ठा करने का कार्य करती हैं। 

खास तौर पर देखें तो एलोवेरा जैसे पौधे जिनकी मांसल और गूदेदार पत्तियाँ होती हैं,इन पत्तियों में ये उत्तक पानी को लम्बे समय तक एकत्रित करके रखते हैं। 

और रेगिस्तान में पानी की कमी के बावजूद जिन्दा रहने को सहारा देते हैं।

2 रात में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करना 

शुष्क वातावरण में रेगिस्तानी पौधे पानी कैसे बचाते हैं?इस के लिए जो एक और अनोखा तरीका वो अपनाते है.रात के समय साँस लेने की प्रक्रिया को आरम्भ करना। 

जिसे CAM(Crassulacean Acid Metabolism) कहते हैं।यह प्रकाश संश्लेषण के द्वारा उर्जा बनाने का एक तरीका है।जो खास तौर पर सूखे क्षेत्रों में पाये जाने वाले पौधों की एक विशेषता है। 

रेगिस्तानी सक्कुलेंट पौधे पानी बचत करने के लिए रात के समय अपनी पत्तियों के रंध्र खोलते हैं।जिन्हें स्टोमेटा कहा जाता है।और कार्बनडाइआक्साइड ग्रहण करते हैं। 

रात के समय इस प्रक्रिया को अपनाने से तापमान में नमी होने के कारण पौधे के अतिरिक्त पानी का वाष्पीकरण होने से बचाव हो जाता है।जिससे पानी की हानि नहीं होती।

पौधे रात के समय कार्बनडाइआक्साइड को ग्रहण करते हैं।और दिन के समय अम्ल के द्वारा इस CO₂ को निकालते हैं।और प्रकाश संश्लेषण आरंभ करते हैं। उदाहरण के लिए एलोवेरा इसी प्रक्रिया को अपनाता है।

3) पत्तियों का रूप-परिवर्तन — छोटे पत्ते /कुंडलित/काँटे 

कैर-का-पेड़

आपने देखा होगा रेगिस्तानी पौधों की पत्तियों का आकार छोटा क्यों होता है?उनमें काँटे भी लगे होते हैं।

यह भी पानी के विकट परिस्थितियों में जिन्दा रहने के लिए डेजर्ट प्लांट्स की एक और रणनीति है। 

दरअसल इन पेड़ पौधों की छोटी और मुड़ी हुई पत्तियाँ सूर्य के प्रकाश को कम सोखती हैं।

उन पर मोम की बनी हुई एक परत भी बनी हुई होती है।जो कि पानी को अधिक वाष्पित होने से रोकती हैं। 

सतह पर काँटों का होना भी इनकी सहायता करता है।युफोर्बिया और कैक्टस जैसे पौधे काँटों के माध्यम से ही प्रकाश संश्लेषण करते हैं। 

इन पौधों के तनों पर काँटों का होना पौधे को गर्मी से बचाता है।और पौधे को नमी प्रदान करता है, जिससे धूप में पानी कम उड़ता है।

4 मोटी वैक्स परत और छिपे हुए स्टोमेटा  

सूखा सहनशील इलाकों में पौधों में पत्तों पर मोटी मोमी परत पाई जाती है। 

इस परत की जितनी ज्यादा मोटाई होती है,पौधे का तेज धूप से उतना ही बचाव होता है।फायदा यह है,कि पौधे के पानी के वाष्पित होने के अवसर कम हो जाते हैं। 

दूसरा यह परत पौधे पर एक चमकीला आवरण तैयार करती है।जिससे धूप की किरणे टकरा कर लौट जाती हैं। जिससे पौधे में संग्रहित पानी का भी बचाव होता है,और पौधे का तापमान भी ठंडा रहता है। 

रेगिस्तानी पौधों की पत्तियों और तनों पर स्टोमेटा यानि छोटे छोटे छिद्र या रंध्र कहिए,जिनके द्वारा पौधे साँस लेते हैं। ये भी तेज धूप में पानी को बचाने के लिए बहुत समझदारी से काम करते हैं। 

पौधों में ये रन्ध्र पत्तियों और तनो पर पाये जाते हैं।और काफी कम मात्रा में और गहरे में गड्डों के रूप में होते हैं। जिससे गर्म हवा के थपेड़ों से भी पानी के वाष्पीकरण की हानि से बचा रहता है।

कैक्टस और युफोर्बिया जैसे पौधे भीषण गर्मी में भी इस प्रकार अपना जीवन बनाये रखते हैं। 

रेगिस्तानी-पौधे-पानी-कैसे-बचाते-हैं?

5 जड़ तंत्र — गहरी टेपरिंग और फैली जड़ें 

सूखे इलाके जहाँ लम्बे समय तक बरसात के दर्शन नहीं होते हवा में तपिश भी पेड़ पौधों को सुखाने पर आतुर होती है।

ऐसे में रेगिस्तानी पौधे अपनी जड़ वास्तुकला के माध्यम से इस गर्म मौसम से दो हाथ करते हैं। 

थार के रेगिस्तान में ही खेजड़ी और बबूल जैसे कई वृक्ष हैं।जो मिट्टी में गहरे तक अपनी जड़े उतार लेते हैं।

ये पेड़ भूगर्भीय स्त्रोतों से जल को  की इकठ्ठा  करने की प्रक्रिया के माध्यम से गुजारा करते हैं।बिना बारिश के भी सूखे में मिट्टी से पोषण लेते हैं। 

इस गर्म मौसम में संघर्ष और जीवन की प्रक्रिया में दूसरी प्रकार के पौधे वे हैं। जो अपनी जड़ो को मिट्टी में ज्यादा गहरे तक नहीं उतारते बल्कि पौधे के आस पास चारों तरफ फैला देते हैं।

ताकि बरसात या नमी की हल्की का हल्का सा मौका मिलने फटाफट पौधे को पानी उपलब्ध करवाया जा सके। 

जैसे कैक्टस मिट्टी में अपनी जड़े ज्यादा गहरे तक नहीं बल्कि 10 फीट चौड़ाई तक फैला लेता है।पोषण के लिए 

इसके अलावा आक,थोर और कैर भी ऐसे ही पौधे है जो जड़े उथली रखते हैं। 

बरसात की स्थिति न होने पर या तो अपना विकास धीमा कर लेते हैं।या अपनी पत्तियाँ गिरा कर न के बराबर विकास करते हैं।

पानी की बूंदे गिरते ही उथली जड़े जल्दी से पानी सोख लेतीं हैं और रेगिस्तानी पौधे फिर से अपनी क्रियाशीलता शुरू कर देते हैं। 

6 जीवन चक्र की रणनीति- इफिमरल और डोरमेंसी 

प्रक्रति का अद्भुत चमत्कार अगर देखना है।तो पौधों पर गौर करना शुरू कीजिए,देखिए कैसे विपरीत स्थानों पर भी वनस्पति अपनी जीवित रहने की जिद को नहीं छोड़ते।

अपने छोटे ही सही!आकार और अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कितनी युक्तियाँ अपनाते हैं। 

इनमें से एक तरीका जो ये पौधे अपनाते हैं,वो है। अल्प समय के लिए जीवित रहना,ऐसे ही पौधों को इफिमरल पौधे कहते हैं।

ये पौधे शुष्क स्थानों में बरसात होते ही सक्रिय होते हैं।उसी अवधि में फल और फूल बनाते हैं।और अंत में बीज की अवस्था में आकर मिट्टी में ही रह जाते हैं। 

अगले वर्ष बरसात होते ही फिर से दिखाई देनें लगते हैं।अपने देखा भी होगा बरसात होते ही मिट्टी पूरी तरह पौधों से ढक जाती है।

ये ऐसे ही जिद्दी होते हैं,उदाहरण के लिए गोखरू,हलहुंडी ऐसे अल्पजीवी पौधों के प्रकार हैं। 

फिर डोरमेंसी की अवस्था,जिसमे पौधे अपने आपको बचाने के लिए बिलकुल न के बराबर विकास करते हैं।या यु मानिये काम करना ही बंद कर देते हैं,सुस्त पड़ जाते हैं। 

सूखे और गर्म मौसम में अपने पत्ते गिरा देंगे जैसे कैर,या विकास न के बराबर होगा।ताकि उर्जा को बचाया जा सके, फिर जैसे ही मौसम इनके अनुकूल होता है,ये वृद्धि करने लगते हैं। 

बालोतरा-में-खेजड़ी-का-पेड़

7 रेगिस्तानी पौधों द्वारा अपनाये जाने वाले परिस्थिति के अनुसार उपाय 

डेजर्ट प्लांट्स लम्बे जीवन काल में समय के अनुसार पानी और उर्जा बचाने के लिए कुछ और भी टेक्टिस अपनाते हैं।

जिनमे से एक है,अपने आस पास ऐसा छोटा वातावरण(माइक्रो क्लाइमेट) तैयार करना,जिससे पौधा अपनी शक्ति और अस्तित्व को लम्बे समय बचा सके। 

इसके लिए खेजड़ी और रोहिडा जैसे शुष्क क्षेत्रों के पेड़ अपनी घनी पत्तियों की छाया से एक पेड़ के नीचे नमी युक्त और ठंडा माहौल बनाये रखते हैं। जिसे आप (साइल मैनेजमेंट)जिससे पानी मिट्टी का पानी भी कम वाष्पित होता है। 

गहरे में जड़े होने से भूगर्भ से पोषण मिलता है।और ऊपर पेड़ की छाया मिट्टी सूखापन नहीं आने देती। 

दूसरा तरीका इन पेड़ो की पत्तियों के जमीन पर गिरने से भी मिट्टी पर एक आवरण तैयार होता है।जो मिट्टी की पोषक क्षमता को बनाए रखता है।मिट्टी की गुणवत्ता भी बढती है।मिट्टी ठंडी रहने से पेड़ को भी जल की हानि से बचाव मिलता है। 

निष्कर्ष 

रेगिस्तानी पौधे पानी कैसे बचाते हैं? इसके महत्वपूर्ण क्रम है,पानी को इकठ्ठा करना,गहरा जड़ तंत्र विकसित करना,पौधे की तापमान के अनुसार बदलने की स्थिति,अपने आस पास एक अनुकूलित वातावरण तैयार करना। आदि अगर पोस्ट पसंद आए,तो अन्य प्रकृति प्रेमियों के साथ भी साझा कीजिए।आपके पास रेगिस्तानी पौधों की कोई अनोखी जानकारी या पौधों की तस्वीर हो तो जरुर शेयर करें। 

सामान्तया पूछे जाने वाले प्रश्न

रेगिस्तानी पौधे पानी कैसे बचाते हैं?

रेगिस्तानी पौधे जड़ों को गहरा करके,पत्तियों और तनों पर मोमी आवरण बनाकर और अपनी मांसल पत्तियों में पानी का संग्रह करके पानी बचाते हैं,कुछ पौधे रात में CO2 ग्रहण करते हैं 

राजस्थान के कौन-कौन से पौधे पानी बचाने की क्षमता रखते हैं? 

राजस्थान में खेजड़ी,बबूल,कैर,कुमुट आदि पेड़ मिट्टी में गहराई तक जड़े पंहुचा कर लम्बे समय तक जीवित रहते हैं 


सॉयल मॉडिफिकेशन क्या होता है रेगिस्तानी पौधों में?

कुछ पौधे मिट्टी में अपने पत्तों और फलों को गिरा कर मिट्टी का संतुलन ठंडा और पोषक बनाये रखते हैं जिससे पेड़ को ही फायदा मिलता है 

माइक्रोक्लाइमेट कैसे बनाते हैं पौधे?

रेगिस्तानी पौधे पास पास उग जाते हैं और अपने पत्तों के माध्यम से मिट्टी का तापमान ठंडा बनाये रखते हैं जिससे पानी की बचत होती है

सन्दर्भ

मरुस्थलीय पौधों का जीवन https://hindi.indiawaterportal.org/archive/marausathalaon-kai-haraiyaalai-kae-saathai-marauudabhaida-paadapa

Prakriti ke sathi
Prakriti ke sathihttp://prakritikesathi.com
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