भारत में जैविक खेती से सब्जियों और फसलों का उत्पादन कोई नया विषय नहीं है। पुरातन काल से ही, भारत में प्रकृति के साथ मिलकर, खेतों में उत्पादन करने के कौशल को भारत में महत्व दिया जाता है। का परंतु विदेशी संस्कृति के प्रभाव और हरित क्रांति के समय खेतों में उत्पादन को बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों पर जोर दिया गया, और किसानों को प्रेरित किया गया कि वह उनका उपयोग करें।
उन उद्योगों से हालांकि उत्पादन तो बढ़ गया है।लेकिन किसानों के खेतों की भूमि की उर्वरक क्षमताओं में गिरावट,और उगने वाले अनाज को खाने के बाद मनुष्य में भी रोगों के प्रभाव अधिकतम नजर आने लगे है।
हम जानेंगे की जैविक खाद से आप अपने खेत और अपने गार्डन में सब्जियों की खेती और औषधिय पौधो की खेती कैसे कर सकते हैं?
Jaivik Khad Kya Hai?|What is Organic Fertilizer?
जैविक खाद से से अर्थ है। प्रकृति में उपलब्ध तत्वों को एकत्रित करके प्राकृतिक तरीके से सड़ा गला कर, उनका अपघटन करके जो खाद तैयार किया जाता है। इसे ही जैविक खाद कहते हैं। इसमें किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक और कृत्रिम चीजों का इस्तेमाल नहीं होता।
पेड़, पौधों के अवशेष पशु और सूक्ष्म जीवों के मल मूत्र से बनी हुई खाद को जैविक खाद कहते हैं।अपनी बहुमुल्य और विशेष गुणों के कारण यह काला सोना भी कहलाती है। यह मिट्टी का पोषण करती हैं। इससे मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
Jaivik Khad Ke Prakar

जैविक खाद बनाने के विभिन्न तरीके हैं। जो की निम्नलिखित रूप में दिए हुए है।
खाद
जैविक खाद में सब्जियों और फलों के बचे हुए छिलकों, सड़ी हुई सब्जियां और फलों के बचे हुए हिस्से, काम में ली हुई चाय पत्ती ,अदरक सूखी हुई घास और सूखे हुए पत्तो,कार्डबोर्ड,अखबार आदि सभी चीजों को कंपोस्ट बिन में डालकर सड़ाया जाता है।2 से 3 महीने में यह खाद तैयार हो जाती है।
वर्मी कंपोस्ट
केंचुए मिट्टी में 1 से 4 मीटर की गहराई तक रहता है।जब यह जीव गोबर और मिट्टी में पाए जाने वाले जीवों के अंश पदार्थ को खाने के बाद, शरीर से जो अपशिष्ट निकालता है। इस अपशिष्ट को खाद के रूप में काम में लिया जाता है।
हरी खाद
ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा मुख्य फसल को बोनें से पहले कुछ विशेष फसल बोई जाती है। जैसे सनई और ढेंचा, इन फसलों को फूलों की अवस्था आने के पश्चात वापस हल के द्वारा खेत में दबा दिया जाता है। ज्यो कि हरी खाद के रूप में जानी जाती है।
जैविक स्प्रे
दूध ,दही, छाछ,गुड़,आटा ,गोमूत्र, फलों के रस आदि को पानी में मिलाकर सढ़ा कर एक तरल उर्वरक तैयार किया जाता है। जिसे जैविक स्प्रे के नाम से जाना जाता है।इससे फसलों और उगने वाले खाद्य को खाने वाले को भी नुकसान नही होता।
Jaivik Khad Se Sabjiyon Ki kheti Me Kya Labh Hote Hai?|Benefits of Organic Fertilizer in Vegetable Farming
- जैविक खाद का निरंतर प्रयोग करने से भूमि में कीटनाशकों का प्रयोग कम करना पड़ता है।
- जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की भौतिक दशा में सुधार होता है। जलधारण की क्षमता बढ़ती है।
- जैविक खाद का उपयोग करने से फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी, और भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है
- रासायनिक खाद की तुलना में जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी उत्पादक और उर्वरक बनी रहती है। मिट्टी में पाए जाने वाले लाभकारी जीवाणु जीवित रहते हैं।
- जैविक खाद के उपयोग से वातावरण की शुद्धता भी बनी रहती है।
Jaivik Khad Kaise Banaye?|How to Make Organic Fertilizer?
आप प्रकृति में पाए जाने वाले प्राकृतिक पदार्थों से जैविक खाद का निर्माण कर सकते हैं। यहां दिए हुए कुछ पॉइंट्स है।
गोबर की खाद कैसे बनाएं?| How To Make Cow Dung Compost?
पशुपालन करने वाले लोग पशुओं के मल मूत्र को ढेर रूप में इकट्ठा कर लेते हैं।जो की ईंधन के रूप में काम लिया जाता है। लेकिन खाद के रूप में यह मिट्टी को किसी प्रकार का पोषण प्रदान नहीं करता। बल्कि यह खरपतवार को अधिक बढ़ावा देता है। वैज्ञानिक तरीके से खाद तैयार करने के लिए
- जमीन में तीन फीट गहरा 4 फुट चौड़ा एक गड्ढा खोदे।
- इस गड्ढे को पशुओं के गोबर, मूत्र ,चारे और पशुओं की बिछावन( जहां पशुओं को बांधा जाता है। उस स्थान पर पशुओं द्वारा किया गया मल और मूत्र से मिट्टी की एक नम सतह तैयार हो जाती है जिसे बिछावन कहा जाता है) से भर देना चाहिए।
- गड्ढे के पूरा भर जाने की स्थिति में 4 से 5 इंच मिट्टी से ढक कर गड्ढे को भर देना चाहिए।
- इस खाद को बनने में 5 से 6 महीने लगते हैं। यदि आपको अधिक खाद की आवश्यकता है। तो ऐसा ही एक दूसरा गड्ढा बनाएं और समान प्रक्रिया अपनाएं।
Vermicompost Kaise Banaye?|How To Make Vermicompost?
वर्मीकंपोस्ट खाद को बनाने के एसिनिया फोइटिडा(लाल केंचुआ) प्रजाति के को उत्तम माना गया है। केंचुआ मिट्टी में 1 से 3 मीटर की गहराई तक रहता है। और मिट्टी में पाए जाने वाले 90% कार्बनिक पदार्थ पेड़, पौधे ,जीव जंतुओं के अवशेषों को खाता है। उसके बाद वर्मी कास्ट बनाता है।जिसे वर्मी कंपोस्ट कहते हैं। वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का तरीका
- वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने के लिए जमीन से ऊपर 3 मीटर लंबी 1 मीटर चौड़ी और लगभग 50 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियाँ बनाएं।
- क्यारियों को तेज गर्मी और सीधी बारिश से बचाने के लिए उनके ऊपर छायादार शेड बनाएं।
- क्यारी को भरने के लिए गोबर, सब्जी और फलों के छिलके, घास, पेड़ पौधों की पत्तियाँ आदि का उपयोग किया जाता है।
- उसके बाद इन क्यारियों में लगभग चार या पांच किलो केंचुए छोड़ दिए जाते हैं। एक वर्ग मीटर की जगह पर लगभग 250 केंचुओं की आवश्यकता होती है।
- क्यारी में हल्का पानी का छिड़काव भी किया जाता है। ताकि उसमें नमी बनी रहे, और उसके बाद इसे किसी बोरी से ढक दिया जाता है।
- लगभग 1 महीने बाद केंचुए के अपशिष्ट से खाद्य तैयार हो जाती है। और इसे छान कर अलग कर लिया जाता है।
- खाद में ज्यादा नमी होने की अवस्था में उसे फर्श पर फैला कर थोड़ा सुखाया जाता है। और लगभग 40%नमी रह जाने पर प्लास्टिक की थैलियों में भर लिया जाता है।
Hari Khad Kaise Banaye?|How To Make Green Manure?
वर्तमान समय में खेती में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी की उत्पादन क्षमता और खनिजों का नुकसान होता है। खेती से पहले हरी खाद की बुवाई किसानों के लिए एक लाभदायक सौदा हो सकता है। इसको बनाने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है।
- हरी खाद के रूप में सनई, ढेंचा,मूँग और गवार आदि फैसले आती है।
- इन फसलों को मुख्य फसल लेने से एक डेढ़ महीना पहले खेतों में उगाया जाता है।
- फूल आने की अवस्था में हल चला कर खेत में ही दबा दिया जाता है। लगभग 10 से 15 दिनों में ये पूरी तरह सड़ जाते हैं। और खेत में खाद के रूप में कार्य करना शुरू कर देते हैं।
- कृषि वैज्ञानिकों का मानना है। इस प्रकार की जैविक खाद से पाई जाने वाली फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण होते हैं।
Kitchen Waste Se Khad Kaise Banaye?|How To Make Compost From Kitchen Waste?
घर में काम में आने वाले फलों और सब्जियों के बचे हुए अपशिष्ट को फेंक देने के बजाय, अगर आप उसे एकत्रित करके खाद के रूप में काम में लेंगे, तो यह जैविक खाद आपकी गार्डन में लगी हुई सब्जियों की खेती करने में लाभदायक हो सकती है। विधि इस प्रकार है।
- चाय बनाने के बाद बचे हुए चाय पत्ती और अदरक के मिश्रण को अच्छे से पानी से धोये। उसमें चीनी बिल्कुल ही ना रहे ये ध्यान रखें।अब इसको एक या दो दिन के लिए धूप में सुखा लीजिए, और उसके बाद आप इस खाद को पौधों में डाल सकते हैं
- नारियल के छिलकों से आप घर पर कोकोपीट भी तैयार कर सकते हैं। इससे मिट्टी में जलधारण करने की क्षमता बढ़ती है। नारियल के सूखे छिलकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद उसे मिक्सी में चला कर बारीक पीस लेना चाहिए। 24 घंटे के लिए आप इस बुरादे को पानी में मिला दीजिए और उसके बाद अतिरिक्त पानी को निचोड़ कर आप इस कोकोपीट को सीधे पौधों में खाद के रूप में काम में ले सकते हैं।
- रसोई में काम में आने वाली फलों और सब्जियों के छिलकों छोटे टुकड़ो में काट लें। एक गड्ढा खोदकर उसमें इस मिश्रण को डाल दे। ऊपर मिट्टी की एक परत बिछाएं, उसके बाद उसमें सूखे पत्ते और गोबर भी डाल सकते हैं। मिश्रण में नमी बनाए रखने के लिए इसमें पानी का छिड़काव करें।हफ्ते में एक बार इस मिश्रण को हिलाएं। इसे मिट्टी से ढक दें। चार या पांच हफ्तों में भूरे रंग की आपकी जैविक खाद तैयार हो जाएगी।

Jaivik Khad Ka Sahi Upyog Kaise Kare?|How to Use Organic Fertilizer Effectively?
मिट्टी को अधिक उत्पादक और फसलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए जैविक खाद का प्रयोग कब, कैसे? और कितनी मात्रा में करना चाहिए यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है।
जैविक खाद को खेत में मिलने का सही तरीका
जैविक खाद को उचित रूप से मिट्टी में मिलने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार होता है।तथा प्राकृतिक व्यवस्थाओं के भी अनुकूल है।
A. Jaivik Khad Ko Mitti Me Milane Ke Pramukh Tareeke
1 फसल से पहले खाद डालना
- जैविक खाद को फसल को बोने से पहले अच्छे से मिट्टी में मिलाना चाहिए।
- जैविक खाद को मिट्टी में 15 सेंटीमीटर की गहराई तक मिलना चाहिए।
2 जैविक खाद डालने का सही समय
फसलों की संपूर्ण वृद्धि और मिट्टी में पोषक तत्वों के उचित मात्रा, खाद डालने के सही समय पर भी निर्भर करती है।
- बुआई से पहले खाद डालें।
मिट्टी में पोषक तत्वों की बढ़त के लिए बुवाई से 15 से 20 दिन पहले जैविक खाद डालें।
- पौधों को रोपने के समय
सब्जी के पौधों को लगाने के लिए प्रत्येक पौधे के लिए 1 से 2 किलो जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
- फसल के बढ़ने के दौरान खाद का उपयोग
फसलों की वृद्धि की रफ्तार धीमी हो, तो साइड ड्रेसिंग के रूप में खाद देनी चाहिए ।
तरल उर्वरक जैसे जीवमृत को जल में मिला कर छिड़काव किया जा सकता है।
- फूल और फल बनने के समय खाद का उपयोग
फूल और फल बनने के समय पौधों को फास्फोरस और पोटेशियम की अधिक आवश्यकता होती है।
केला, टमाटर और पपीता इन फसलों के लिए तरल गोबर की खाद का उपयोग किया जा सकता है।
3 जैविक खाद की मात्रा
- घर पर सब्जियों की खेती करने के लिए शुरुआत में 10 से 12 किलो जैविक खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन समय के साथ और पौधों की अलग-अलग अवस्थाएं आने पर उर्वरक और गोबर की खाद का उपयोग करते रहना चाहिए।
Jaivik Kheti Me Sabjiyon Ke Liye Behtreen Khad |Best Organic Fertilizers for Vegetables
- टमाटर,मिर्च,भिन्डी और बैंगन की खेती में आप उर्वरक के तौर पर अंडे के छिलकों का पाउडर उपयोग में ले सकते हैं जो की कैल्शियम से भरपूर होता है
- आपके घर में एक्वेरियम है। तो उसका पानी, जिसमें मछली का मल होता है। उसे भी उपयोग भी ले सकते हैं। जो की सल्फर, मैग्नीशियम और कैल्शियम से भरपूर होता है।
- पत्तेदार सब्जियों में कंपोस्ट और नीम की खली, जैविक तरल खाद का उपयोग कर सकते हैं।
Jaivik Khad Se Sabjiyon Ke Utpadan Me Vridhhi Ke Sujhav|Tips to Increase Vegetable Yield with Organic Fertilizer
- जैविक खाद और मल्चिंग के संयोजन से सब्जी के उत्पादन में अधिक वृद्धि की जा सकती है।जैविक खाद मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्व में सुधार करती है। जबकि मल्चिंग मिट्टी की ऊपरी सतह में नमी बनाए रखती है। और कीटनाशकों की अधिक उपयोग और जल संरक्षण में प्रभावी है।
- जैविक खाद के साथ जैविक कीटनाशकों जैसे नीम का तेल, नीलगिरी का तेल, प्याज और लहसुन के पेस्ट को पानी में मिला कर स्प्रे आदि का प्रयोग करके मिट्टी तथा फसलों की प्राकृतिक उर्वरकता को बनाए रखा जा सकता है। और इस प्रकार के खाद्य पदार्थों को खाने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है।
- सिंचाई के लिए उचित जल प्रबंधन की तकनीक जैसे ड्रिप इरीगेशन से जल संरक्षण और मिट्टी के कटाव और पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। और फसलों को उचित मात्रा में जल उपलब्ध कराया जा सकता है। और अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
- केंद्र और राज्य सरकार समय-समय पर खेती के लिए ड्रिप इरीगेशन और अन्य उन्नत तकनीक के लिए सब्सिडी प्रदान करती रहती हैं। ताकि खेती में तकनीक को बढ़ावा मिले।
Jaivik Kheti Apnane Wale Kisano Ki Safalta Ki Kahaniyan
- उत्तर प्रदेश प्रयागराज जिले के रहने वाले 45 वर्ष के किसान प्रदीप कुमार द्विवेदी ने जैविक खेती के माध्यम से अन्य किसानों के सामने मिसाल के रूप में प्रस्तुत हुए हैं। उन्होंने अपनी Mnc की नौकरी छोड़कर जैविक खेती शुरू कर, अपना सालाना टर्नओवर 48 करोड रुपए किया है। और वह लगभग 40000 किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं।
- असम राज्य के तिनसुकिया जिले में रहने वाले धोनी राम चेतिया नमक किसान ने जैविक खेती के बल पर अपने 25 बीघा के खेत पर प्राकृतिक तरीकों से फल सब्जियां और अनाज की अनेक फैसले उगाई है।और टिकाऊ खेती का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। हालांकि खेती के इस स्वरूप में उन्होनें अनेक चुनौतियों का सामना किया – जैसे कीटनाशकों का हमला और मौसमों की मार। लेकिन उन्होंने प्राकृतिक कीट नियंत्रण की विधियों को सीखा और आज लाखों कमा रहे हैं।
- राजस्थान के दौसा जिले की महिला किसान रूबी पारीक ने जैविक खेती के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज उनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपए का है। कम आयु में उनके पिता की मृत्यु के पश्चात जब उन्होंने शोध किया तो उन्हें पता चला की मिट्टी में रासायनिक खादों के उपयोग से मिट्टी विषैली हो रही है।और कैंसर जैसी लाईलाज बीमारियाँ फैल रही है।इसलिए उन्होनें जैविक खेती का रूख किया।पर्यावरण को बचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह अपने प्रदेश के अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण दे रही हैं,प्रेरित कर रही हैं।
- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रहवासी किसान मोहन सिंह ने जैविक खेती के माध्यम से मटर ,टमाटर आदि सब्जियों की खेती की और आज 15 लख रुपए कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के माध्यम से सुधार हुआ उत्पादन भी बढ़ा है। और रसायनिक खादों की तुलना में फसलों में कीटों और रोगों की समस्या भी कम हुई है।
- भारतीय सेवा के रिटायर्ड जवान गोपेश्वर जो कि राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने जैविक खेती को अपनाया, और आज प्रति एकड़ में एक लाख रुपए का लाभ कमा रहे हैं। उन्होंने जलवायु पर आधारित फसलों को महत्व दिया।जिससे मिट्टी की सेहत भी बनी रही। पानी की बचत के लिए ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को अपनाया।
Nishkarsh
भारत में जैविक खाद और जैविक उर्वरकों का प्रयोग हालांकि कोई नई बात नहीं है। भारतीय किसान अधिक उत्पादन के लाभ मे प्राकृतिक खेती के मार्ग से भटक गए हैं।जो की अब वापस सजग हो रहे हैं।जैविक खेती के माध्यम से मिट्टी और पर्यावरण में भी संतुलन बना रहता है।किसानों के लिए लाभ की दृष्टि से भी यह सस्ती विधि है।और उनके कोई दुष्परिणाम हमारे आने वाली पीढ़ियां को नहीं झेलने पड़ेंगे। स्वस्थ भोजन से ही हमारी आने वाली पीढ़ियां भी स्वस्थ रहेंगी।और देश समृद्ध रहेगा क्या आपने कभी अपने गार्डन में जैविक खाद का उपयोग किया है कमेंट में अपने अनुभव साझा करें।

References’
khad ka upyog kaise karehttps://hindi.krishijagran.com/news/how-to-use-vermicompost-know-its-use-quantity-and-time-in-crops/
ghar pe sbji kaise ugaye?https://www.agrifarming.in/vegetable-farming-at-home-in-india-planting-info#homemade-fertilizers-for-vegetable-farming-at-home
success stories of farmershttps://hindi.krishijagran.com/success-stories/success-story-of-marigold-farmer-is-earning-18-lakh-rupees-annually-by-cultivating-flowers/