Home Rare plants in India Seeta Ashok |Shanti or shakti ka prateek| Saraca Asoca | सीता अशोक

Seeta Ashok |Shanti or shakti ka prateek| Saraca Asoca | सीता अशोक

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seeta ashok
शांत सौन्दर्य :हरे पत्तों की छाँव से सजा अद्भुत वृक्ष

अशोक जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, जो शोक रहित है। क्या किसी वृक्ष में भी ऐसे गुण पाए जा सकते हैं? भारतीय सभ्यता और संस्कृति में अशोक के वृक्ष को समस्त दुखों को समाप्त करने वाला वृक्ष बताया गया है। माता सीता का हरण करने के बाद रावण ने उन्हें अशोक वाटिका में रखा था, और वह अशोक वृक्ष के नीचे बैठकर प्रभु श्री राम के आने की प्रतीक्षा करती थी।इसी कारण इस वृक्ष को सीता अशोक भी कहा जाता है।

 

Seeta Ashok ka vanispatik nam or pariwar

 सीता अशोक के वृक्ष का वानस्पतिक नाम saraca asoca  है।और यह fabaceae  परिवार का वृक्ष है| अशोक के वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप,दक्षिणी पूर्वी एशिया और  मॉरीशस में पाए जाते हैं। भारत में यह वृक्ष उड़ीसा तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में पाया जाता है। अशोक का पुष्प उड़ीसा का राजकीय फूल भी है।

 

Seeta Ashok ke anya nam

अशोक के वृक्ष को लैटिन में जोनेशिया  अशोका कहते हैं। संस्कृत में इस अपशोक मंजरीमधु पुष्प ,चित्रशोक, हेमपुष्प,रक्त पल्लव आदि नामों से पुकारा जाता है। अंग्रेजी में इस वृक्ष को सोरोलेस ट्री और हेंडकर्चीफ ट्री भी कहा जाता है। इसके अलावा  गुजराती में इस वृक्ष  को असोपालव, मराठी में अशोक तथा बंगला में असपाल कहा जाता है।

 

Seeta Ashok ke ped ki pahchan kaise kare?

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। साधारण तया पार्क और  उद्यानों में लंबाई में बढ़ता हुआ जो पेड़ आपको दिखाई देता है, वह सीता अशोक नहीं है। हालांकि यह काफी लोकप्रिय वृक्ष है। परंतु वास्तविक अशोक वृक्ष का तना काफी मजबूत और मोटा होता है। यह एक मध्यम आकार की लंबाई वाला वृक्ष है। जिसमें अनेक शाखाएं होती हैं। और यह ऊपर की ओर  बढ़ते हुए गोलाकार हो जाता है। जिसकी छाया में भी आप बैठ सकते हैं।

इसकी छाल गहरी भूरे रंग की अथवा काले रंग की होती है। इस पेड़ की पत्तियां बड़े आकार की 25 सेंटीमीटर तक लंबी होती है। जो की नोकदार, गोलाकार होती है। परिपक्व होने के बाद पत्तियों का रंग गहरा हरा हो जाता है। इस वृक्ष पर नारंगी रंग के गुच्छेदार फूल लगते हैं।जो किसी मधुमक्खी के छत्ते के जैसे दिखाई देते हैं, तथा बहुत सुगंधित होते हैं। यह पुष्प शीत ऋतु  के समाप्त होने के पश्चात खिलते हैं। इस वृक्ष पर चौड़ी आयताकार फलियां लगती हैं,जो की चपटी और गहरी लाल जामुनी रंग की होती है। कच्ची फलियों के बीच में से बीज को निकालना आसान नहीं होता इसकी फलियां काफी मजबूत होती है। और बहुत  मशक्कत करने के बाद आप इसकी फली को दो भागों में कर पाएंगे। पकने के बाद इन फलियां में से बीज निकलकर गिर जाते हैं। ये  फलिया बसंत ऋतु में पेड़ों पर लगती है। इस पेड़ की आयु लगभग 50 वर्ष है

सीता अशोक
प्रकृति का मनमोहक नज़ारा, सीता अशोक के आकर्षक फूल

Seeta Ashok jaise dikhne wale anya ped

सामान्य तैयार अशोक का पेड़ बोलने से लोगों का अभिप्राय ऊंचे और लंबे बढ़ने वाले मोनून लोंगिफोलियम से होता है। यह एनोनेसी परिवार का वृक्ष है। यह मुख्यतः उद्यान और  बंगलो में आपको अपनी शोभा बिखेरता  नजर आएगा। इसकी पत्तियां लंबी, पतली और शाखों से लटकती हुई नजर आती है। यह पेड़ लंबाई में बढ़ता हुआ नौकाकार सा दिखाई देता है। जबकि वास्तविक सीता अशोक ऊंचाई में कम और घना वृक्ष होता है। सीता अशोक  से अनेक शाखाएं निकलती  हैं। जबकि मोनून लोंगिफोलियम का तना अविभाजित रूप में ऊपर की ओर बढ़ता है। अशोक के वृक्ष के जैसा दिखाई देने के कारण इस वृक्ष को झूठा अशोक भी कहा जाता है।

Seeta Askok ka dharmik mahtva

सीता अशोक को हिंदू व बौद्ध धर्म में पवित्र वृक्ष माना गया है। रामायण महाकाव्य में दिए गए वर्णन के अनुसार रावण ने माता सीता का हरण करने के पश्चात उन्हें लंका में जिस  वाटिका में रखा था। वहां अशोक के वृक्ष लगे थे, इसलिए उसे स्थान को अशोक वाटिका कहा गया। और उसे वृक्ष को सीता अशोक का नाम दिया गया। जिसने माता सीता के शोक का हरण किया उस वृक्ष की महिमा तो और बढ़ जाती है। इस कारण  अशोक के पेड़ को विचित्र शोक,अपशोक  जैसी उपमाएं दी गई है। बौद्ध धर्म के मतानुसार भगवान बुद्ध का जन्म भी लुंबिनी ग्राम में इसी वृक्ष के नीचे हुआ था। इन तथ्यों के विषय स्वरूप इस वृक्ष का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

Seeta Ashok vriksh ke fayde

अशोक के वृक्ष को आयुर्वेद में मधुर, पौष्टिक तथा शीतलता प्रदान करने वाला बताया गया है। इस वृक्ष की पत्तियाँ, फूल और छाल सभी का प्रयोग अनेक बीमारियों में राहत प्रदान करने वाला है।आईए जानते हैं अशोक के वृक्ष के फायदे।

  • Haddiyon ko jodne wala

अशोक की सूखी छाल को पानी में पीसकर उसे पानी को छान कर सुबह शाम पीने से टूटी हुई हड्डी ठीक होती है।

  • Rakt vikaro me labhdayak

महिलाओं में रक्त और हार्मोन से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए अशोक के वृक्ष की छाल का उपयोग किया जाता है। महिलाओं में अनियमित रक्तस्त्राव, अनियमित मासिक धर्म आदि रोगों में आयुर्वेद में अशोक की छाल के उपयोग का वर्णन मिलता है।

  • Shareer me khoon ki kami ko door karna

अशोक की छाल में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में रक्त अल्पता एनीमिया दूर होता है। और रक्त संचार बेहतर है।

  • Soojan or dard me rahat

अशोक की छाल का उपयोग शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने में सहायक है।इसका उपयोग गठिया और अन्य प्रकार के दर्द में राहत प्रदान करता है।

  • Pet se sambandhit rogo me aram

अशोक के पत्तों और छाल का सेवन करने से पेट से संबंधित समस्याओं में आराम मिलता है।अशोक में कृमि नाशक गुण पाए जाते हैं,इसका सेवन अपच और कब्ज जैसी समस्याओं में आराम देता है।

  • Tvacha se sambandhit vikaro me labh

अशोक का उपयोग त्वचा से संबंधित समस्याओं जैसे खुजली,फोड़े फुंसी और एलर्जी आदि के उपचार में किया जाता है ।अशोक के वृक्ष में शीतलता प्रदान करने के गुण होते हैं ।जिससे त्वचा को ठंडक मिलती है ।जलन व दाह में आराम मिलता है।

  • Mansik tanav me shanti pradan karta hai                                                                                                                                                                                                 आयुर्वेद में अशोक को शीतलता प्रदान करने वाला वृक्ष बतलाया गया है। जैसा की रामायण में वर्णित है इस वृक्ष के नीचे बैठकर माता सीता ने अपने पति से दूर रहकर भी अपने मानसिक दुख और संताप को सहन किया। इस वृक्ष की छाया शीतलता प्रदान करने वाली है ।यह मानसिक तनाव और अवसाद को दूर करता है। अशोक से बनने वाली औषधियों में अशोकारिष्ट व अशोक घृत प्रमुख रूप से ली जाती है।

Seeta Ashok ke vrikh se sambandhit upyog me sawdhaniya

ऊपर सुझाए गए उपाय कारगर है।परंतु किसी आयुर्वेद के विशेषज्ञ की उचित सलाह और संतुलित मात्रा के प्रयोग से ही रोगी को सहायता मिल सकती है।अत:उपयोग से पहले आयुर्वेदाचार्य की राय अवश्य लें।

Kya Seeta Ashok ka ped ghar me lagana chahiye?

वास्तु विज्ञान के अनुसार अशोक का पेड़ आपके घर की उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। यह आपके घर में सुख समृद्धि को बढ़ाने वाला है। अशोक का वृक्ष घर में शुभता और शांति में वृद्धि करने वाला माना जाता है। यह वृक्ष अपने आप में दैवीय गुणों  को समाहित किए हुए है। यदि आप उत्तर दिशा में इस वृक्ष को नहीं लगा सकते, तो पूर्व दिशा में भी आप इस वृक्ष को लगा सकते हैं।

seeta ashok ki faliyan or beej
बसंत ऋतू में लगने वाली फलियों में बीज पाये जाते हैं

Seeta Ashok vriksh ki pooja kaise kare?

अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा को अशोक व्रत किया जाता है। इस दिन घी, गुड़, रोली, मोली और दीपक जलाकर अशोक के वृक्ष की पूजा की जाती है। तथा अशोक के वृक्ष को जल अर्पित किया जाता है।

Seeta Ashok ke ped ko kaise lagaye ?

अशोक का पेड़ लगाने के लिए बीज सबसे अधिक प्रभावी है। बसंत ऋतु में इस वृक्ष  पर फलियां लगती हैं। बीजों के लिए लगभग 5 से 6 वर्ष की आयु के पेड़ो से बीज इकठ्ठा कर लेने चाहिए। गमले में बीज लगाने के लिए गोबर की खाद तथा  रेत सामान्य अनुपात में लेनी चाहिए।आप चाहे तो इसमें 1मुठ्ठी नीम की खली भी डाल सकते हैं।बीजों को बोने से पहले 10 से 12 घंटे पानी में भिगो कर रखने से बीजों का अंकुरण अच्छा होता है।

किसी भी पौधे के बीज को शाम के समय बोएं।इससे रात के समय में बीज को मिट्टी में नमी में अच्छे से अंकुरण के अवसर मिलते हैं।आप चाहे तो दूध की 1 किलो जो थैलियों मे भी मिट्टी ,खाद डाल कर नर्सरी बैग जैसा आकार में पौधा तैयार कर सकते है।बीज को गमले में 1इंच तक मिट्टी में दबाए,ऊपर से थोड़ी सी मिट्टी से ढक दे।और पानी से सिंचाई किजीए।लगभग 15 दिनों में बीज अंकुरित हो जाएंगे ।यह वृक्ष भारत में विलुप्ति के छोर पर है,राष्ट्रीय औषधिय पादप बोर्ड द्वारा भी इसकी खेती के प्रोत्साहन के लिए कार्य किया जा रहा है।

Nishkarsh

जब तक व्यक्ति को रोग नही घेरते, वह प्रकृति के प्रति बेरुखी का दृष्टिकोण अपनाये रहता है।और वृक्ष तो मानव जाति को माता पिता की तरह सिर्फ देने का भाव रखते हैं।आवश्यकता है पेड़ो के प्रति जागरुकता बढ़ाने की।सीता अशोक जैसे वृक्ष जिन की पत्तियाँ,फूल,छाल यहाँ तक कि इसकी छांव में बैठना तक भी व्यक्ति को सुकून देता है।यह वृक्ष अपने आपमें वरदान है।इस विलुप्त होते वृक्ष को जाने,यह हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर है।

धन्यवाद!

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