आज मेरे ब्लॉग का पेज सुगंध से महकने वाला है। क्योंकि आज मैं जानकारी लाई हूं एक ऐसे वृक्ष की जो न सिर्फ देखने में ही शोभनीय लगता है,बल्कि इसके पुष्प भी पवित्रता का प्रतीक माने जाते हैं और वातावरण को खुशबू से परिपूर्ण कर देते हैं। पारिजात के वृक्ष के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम ही होगा।ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय प्राप्त हुई दुर्लभ वस्तुओं से एक पारिजात का वृक्ष भी है।
जब भी आप फूलों से लदे पारिजात का दर्शन करेंगे, तो आपको स्वयं ही ये अनुभूति होगी कि निश्चित ही इस वृक्ष का स्वर्ग से आगमन हुआ है।जब ये फूलों से अलंकृत होगा तो बहुत मनमोहक प्रतीत होता है। प्रकृति से दक्ष कलाकार कोई नहीं हो सकता, इसका बोध आपको तब होगा जब आप पारिजात को एक नजर देखेंगे। हरे और नुकीले पत्ते उस पर सफेद रंग से सजे पुष्प जिनकी पकड़ केसर के रंग से सुसज्जित होती है। मन को मोह लेने वाला यह वृक्ष न सिर्फ दर्शनीय है। बल्कि अनेक औषधिय गुणों को भी समेटे हुए हैं।
आयुर्वेद में पारिजात के फूल, पत्तियां, व छाल सभी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है। जब इसके पुष्प पेड़ से झड़कर धरती पर गिर जाते है, तो ऐसा आभास होता है जैसे किसी ने सफ़ेद रंग की फूलों की चादर बिछा दी हो।
Parijat ki pahchan
पारिजात के पौधे का एक अन्य प्रचलित नाम हारसिंगार भी है। इसका वानस्पतिक नाम Nyctanthis Asbortristis है। हारसिंगार के फूल अत्यंत सुगंधित होते हैं। तथा मनमोहक खुशबू बिखेरते हैं। यह वृक्ष ज्यादातर मध्य भारत तथा हिमालय के आसपास के क्षेत्रों में पाया जाता है। इस वृक्ष की लंबाई साधारणतया 10 से 15 फिट होती है। और कुछ जगह 25 फीट तक ऊंचाई भी ग्रहण करता है।
हारसिंगार के पुष्प रात्रि के समय खिलते हैं। तथा सुबह 4 से 6 के मध्य अपने आप वृक्ष से गिर जाते हैं। पारिजात का वृक्ष ज्यादातर घर या पार्कों में लगाए जाने के लिए उपयुक्त है। क्योंकि यह वृक्ष अधिक देखभाल नहीं चाहता, कम पानी और कम जगह तथा कम देख रेख में बढ़ने वाला यह अनोखा वृक्ष है।
पारिजात को आयुर्वेद में अज्ञात दर्दों की दवा कहा गया है। पारिजात का उपयोग अनेक औषधिय उत्पादों को बनाने में किया जाता है। पारिजात का फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। पारिजात के वृक्ष पर अक्टूबर से दिसंबर तक फूल मिलते हैं। तथा इस वृक्ष को जल्दी से कीड़ा भी नहीं लगता है।
Parijat ke Anya nam
पारिजात का वैज्ञानिक नाम Nyctanthis Arbortristis है।अंग्रेजी में इस पेड़ को Night Jasmine कहा जाता है। संस्कृत में इस वृक्ष को पारिजात और शेफालिका नाम से बुलाया जाता है। हिन्दी में पारिजात तथा हारसिंगार ।मराठी में पारिजातक ,बंगाली में शेफालिका,शिउली बुलाया जाता है।तेलगु में इस वृक्ष को पारिजातमु,पगडमल्लै और गुजराती में हरशणगार नाम से पुकारा जाता है।
Parijat Leaves Benefits
हारसिंगार को आयुर्वेद में कफ और वातजनित रोगों में राहत प्रदान करने वाली रामबाण औषधि के रूप में उल्लेख किया गया है। इसकी पत्तियां, फूल और छाल सभी का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।
Kisi bhi prakar ke jwar or bukhar me labhdayak
आयुर्वेद में वर्णित पुस्तकों में तथा राजीव दीक्षित जी के द्वारा भी यह बतलाया गया है, कि हारसिंगार के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया किसी भी प्रकार के ज्वर को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
Jodo ke dard or sciatica me labh
हारसिंगार के पत्तों का काढ़ा शरीर में जोड़ों की सूजन, जोड़ों के दर्द, शरीर के अंगों का टेढ़ा-मेढ़ा हो जाना, वर्षों पुराना साइटिका का दर्द आदि रोगों में इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। इसके पत्तों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो वात संबंधी समस्याओं में राहत प्रदान करते हैं।
Pachan me sanshodhan
पारिजात की पत्तियों के उपयोग से पाचन तंत्र को सुधारने में सहायता मिलती है। तथा कब्ज, गैस तथा पेट में कीड़े होने पर इसका उपयोग फायदा पहुंचाता है।
Tvacha ko nikharne me upyogi
हारसिंगार के फूलों का प्रयोग त्वचा को निखारने के लिए भी किया जाता है। इसके फूलों और पत्तों से निकलने वाला रस शरीर में दाद, खाज, खुजली को दूर करता है।
Khoon ko saf karne wali aoushdhi
हारसिंगार को रक्त शोधन करने वाली औषधि माना जाता है। इसके पत्तों का उपयोग शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित करता है।
Khansi v kaf sambandhi samasyao me aram
हारसिंगार की प्रकृति गर्म होती है। इसी कारण से आयुर्वेद मे हारसिंगार को कफनाशक औषधि के रूप में उल्लेख किया गया है। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से खांसी तथा कफ होने पर राहत मिलती है।
Mansik tanav door karta hai
हारसिंगार में तनाव विरोधी गुण पाए जाते हैं। भारतीय शास्त्रों में पारिजात को दैवीय वृक्ष की मान्यता प्राप्त है। इसके फूलों से निकलने वाली खुशबू स्ट्रेस बस्टर की तरह कार्य करती है। पारिजात के समीप बैठना भी मन को शांति प्रदान करता है। तथा मन को एकाग्र करने में सहायक है।
Kya Parijat Ko Ghar Me Laga Sakte Hai?
जी हां, पारिजात का पौधा घर में लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र औरभारतीय पौराणिक मान्यताओ के अनुसार पारिजात को दैवीय वृक्ष की संज्ञा प्राप्त है। ऐसा माना जाता है, कि जिस घर में भी यह वृक्ष होता है वहां देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। वैसे साधारण दृष्टि से भी देखे तो यदि आपके घर में वृक्ष लगाने की जगह है, तो आपके बिना सोचे समझे पारिजात को अपने बगीचे में स्थान देना चाहिए। आप इसे गमले में भी लगा सकते हैं। यह भारतीय मूल का वृक्ष है।सब जगह आसानी से लग जाता है। और छटाई करते रहने से ज्यादा जगह भी नहीं घेरता, तो यह घर में लगाने के लिए उपयुक्त वृक्ष है।
Kya parijat ko gamle me uga sakte Hain?
निश्चित ही पारिजात के पौधों को आप गमले में लगा सकते हैं। आप नर्सरी से इसका पौधा लाकर भी गमले में लगा सकते हैं।यदि आपके घर में वृक्ष लगाने जितनी जगह नहीं है, तो 10 से 15 इंच के गमले में आप पारिजात के पौधे को लगा सकते हैं।
गमले में आप आधी मिट्टी, मिट्टी के अनुपात में गोबर की खाद, एक मुट्ठी नीम की खली डालकर मिश्रण तैयार कर ले, और इसे गमले में भर लें, बीच में पौधे को आरोपित कर दीजिए। ध्यान रखें मिट्टी को गमले में भरते समय उसे हाथों से दबाए ना, यह मिट्टी में वायु के प्रवेश को अवरुद्ध करता है। और पौधे की जड़ों में वायु के प्रवाह को रोकता है। गमले में ऊपर 3 इंच की जगह छोड़े, ताकि पानी के लिए भी स्थान रहे, पौधे के बढ़ने की स्थिति में आप इसे 20 इंच के गमले में स्थानांतरित कर सकते हैं।
Kya Parijat or Rat ki rani ek hi Hain?

पारिजात और रात की रानी दो अलग-अलग पौधों के नाम है। पारिजात का वैज्ञानिक नाम Nyctanthis Asbortristis है। जबकि रात की रानी का वैज्ञानिक नाम Cestrum Nocturnum है। हालांकि दोनों पौधों पर पुष्प रात को ही खिलते हैं। पर पत्तियों और पुष्पों के रंगों में भिन्नता होने पर आप इन्हें पृथक कर सकते हैं। हारसिंगार या पारिजात के पत्ते गहरे हरे,और हाथ से छूने पर खुरदरी और चुभन देने वाले होते हैं। जबकि रात की रानी के पत्ते हल्के हरे और चिकने होते हैं। पारिजात के फूल सफेद होते हैं।तथा फूल की डन्डी नारंगी रंग की होती है। जबकि रात की रानी पर गुच्छेदार सफेद रंग के फूल लगते हैं। जो छोटी-छोटी घंटीयो जैसे दिखाई देते हैं। यह फूल सफेद रंग के होते हैं। और उन्हें पकड़ने की डंडी हरे रंग की होती है।
Parijat ke poudhe ko pahchan kaise kare?
पारिजात के पत्तों को छूकर भी आप इसकी पहचान कर सकते हैं। यह नुकीले तथा गहरे हरे रंग के, स्पर्श करने में खुरदरे आवरण के होते हैं। पारिजात के वृक्ष पर अक्टूबर से दिसंबर तक सुंदर खुशबूदार सफेद रंग के फूल खिलते हैं। जो रात के समय खिलते हैं। तथा सवेरा होने पर स्वयं ही वृक्ष से झड़ जाते हैं।
Parijat ke poudhe ko kitni dhoop chahiye?
पारिजात के पौधे को घर में उस दिशा में लगाए जहां अच्छी धूप आती हो साधारणतया पूर्व दिशा पौधों के लिए उपयुक्त है। पारिजात के पौधे को अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती। सामान्यतया 5 से 6 घंटे की धूप पर्याप्त है।
Harsingar ki taseer kya hoti hai?
हारसिंगार की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे कफ दोष का शमन करने वाली औषधि कहा गया है। हारसिंगार का उपयोग शरीर में रूखापन लाता है।यह उष्ण तासीर वाला पौधा है।
Parijat ke poudhe par phool kitne dino me khilte hai?
पारिजात के पौधे पर अक्टूबर माह से दिसंबर माह तक पुष्प खिलते हैं। यह पुष्प सफेद रंग के होते हैं।
Parijat ki aayu kitni hai?
पारिजात वृक्ष की आयु 1000 वर्ष से 5000 वर्ष तक बतालाई जाती है। भारत के उत्तर प्रदेश में बाराबंकि जिले में बरौलिया गांव के पास कुंतेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। वहां पारिजात का एक प्राचीन वृक्ष है। जब वैज्ञानिक विधि से इसकी काल गणना का निर्धारण किया गया तो इस दुर्लभ वृक्ष की आयु 700 वर्ष से अधिक ज्ञात हुई है।
यह वृक्ष उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षित किया जाता है। लेकिन इस वृक्ष के बारे में एक रहस्यमई तथ्य यह है, की इस प्रजाति (बाओबाब प्रजाति)के वृक्ष केवल अफ्रीका में ही पाए जाते हैं। भारत में यह बहुत प्राचीन धरोहर की तरह सुरक्षित है। इस पेड़ पर पल्लवित होने वाले पुष्प भी रात को ही खिलते हैं। तथा प्रातः काल मुरझा जाते हैं। फूलों का रंग सफेद होता है। और सूखने पर वह सुनहरे रंग के हो जाते हैं।

Parijat ke upyog me ki jane wali sawdhaniya
पारिजात की पत्तियों या फूलो का दवा के रूप में सेवन करने से पूर्व किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेवें।सबका शरीर और स्वास्थ्य भिन्न प्रकृति का होता है।इसके उपयोग में आपको कुछ परहेज भी करने होंगे।अत:परामर्श ही लाभकारी रहेगा।
Nishkarsh
पारिजात भारतीय मूल का वृक्ष है,इसलिए भारत में कही भी आसानी से उगाया जा सकता है।आजकल काफी विदेशी किस्मों के वृक्ष सड़को के किनारे लगे हुए दिखते है,जिनका कोई पर्यावर्णीय महत्व भी नहीं है ना ही औषधिय गुण है कोई उनमें।पारिजात जैसे वृक्ष ना सिर्फ आस पास के पर्यावरण को महकाते है।बल्कि इस वृक्ष की पैदावार औषधि निर्माण में भी सहायक है। इसकी खुशबू से ना सिर्फ वातावरण महकता है।बल्कि यह मानसिक शान्ति प्रदान करने वाला पौधा भी है।इसलिए हारसिंगार का पौधा लगाना आपके घर को ही नही आस पास के माहौल को भी सुख शान्ति से समृद्ध करने वाला है।क्या अपने पारिजात के फूल को स्पर्श किया है ?इसकी खुशबू को अनुभव किया है ?
आज की इस पोस्ट के साथ मैनें हारसिंगार रोपित किया है
धन्यवाद!