इस पृथ्वी पर शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो।जिसे प्रकृति की गोद में आराम ना मिलता हो। घने पेड़ों की छत्रछाया दो पल हमें उनके समीप बैठे रहने को विवश कर देती है। ऐसा ही जीवन से भरपूर पेड़ है वट वृक्ष।
क्या आप जानते हैं?कि आप इस घने और विशाल वृक्ष को छोटा आकार देकर,जिसे बोंसाई भी कहा जाता है। अपने घर के गार्डन में संरक्षण दे सकते हैं।
आज जब शहरीकरण जंगल की तरह बढ़ता जा रहा है। और जंगलों में पायी जाने वाली भारतीय मूल की अमूल्य वनस्पतियाँ,लुप्त होने के कगार पर है।
बोंसाई जैसी कला से पेड़ों के छोटे आकार को घर में रखना रोमांचक हो सकता है।और मन को शान्ति और सुकून प्रदायक भी है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि बनयन बोंसाई ट्री कैसे बनाएं?
परिचय: बोंसाई कला और वट वृक्ष का महत्व
किसी भी बड़े आकार के वृक्ष का छोटा प्रतिरूप जिसे आप किसी छोटी ट्रे में लगा सकते हैं। वह उस वृक्ष का बोंसाई कहलाता है।
इस कला का जन्म चीन में हुआ था। हालांकि यह जापान से भी संबंधित है। विशाल पेड़ो के छोटे प्रतिरूप को प्राकृतिक सजावटी पौधो के अंदाज़ में रखना इस कला की विशेषता है।
बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष भी है।इसलिए यह मूल्यवान भी है।
हिंदू धर्म में वट वृक्ष को पूजनीय स्थान प्राप्त है। माना जाता है,कि त्रिदेवों का वास इस वृक्ष में होता है।
ऐसे चमत्कारी वट वृक्ष की बोंसाई एक बार जरूर लगाएं,और पर्यावरण संरक्षण में सहभागिता करें।
बनयन बोंसाई ट्री कैसे बनाएं?
- बनयन ट्री का बोंसाई बनाने के लिए पहले मन में ख्याल आता है। कि बोंसाई के लिए पौधा कहाँ से लाए,तो आप नर्सरी से बरगद का पौधा ला सकते हैं।
- और बाद में आसानी से वट वृक्ष के बोंसाई के रूप में विकसित कर सकते हैं।क्योकिं बनयन ट्री भारत का मूल निवासी भी है। तो यह भी आपको सहयोग करेगा।
- पर हाँ आपको धीरज और संतुलन के साथ ये काम करना होगा। ये एक यात्रा करने जैसा होगा आपके लिए।
- यदि आपने वट वृक्ष का बोंसाई बनाने का निर्णय लिया है। तो सबसे पहले यह जरूरी है कि आप किसी वास्तविक वृक्ष की छवि अपने दिमाग में बनाएं।और उसकी संरचना से प्रेरणा लें।

आकार
और जब यह तय कर ले,कि आपको अपने बोंसाई का आकार कैसा रखना है?अब इस क्रम में जुट जाइए। यह एक या दो दिन में खत्म होने वाला काम नहीं है। मनमुताबिक आकार में आपको वर्षों लग सकते हैं।
- इन बड़े पेड़ों को छोटा पौधा बनाने के लिए यह सुनिश्चित कीजिए, कि आप समय-समय पर उनकी छंटाई करते रहे।यह उपक्रम पूरे साल जारी रख सकते है। छंटाई के कुछ साधारण नियम इस प्रकार है।
- बोंसाई पेड़ों की छंटाई करने का सबसे उपयुक्त समय बसंत ऋतु है।
- वट वृक्ष पर बहुत बड़े-बड़े पत्ते उगते हैं। इन पत्तों को समय-समय पर काटते रहें।ये क्रिया नये पत्तों के विकास को गति देगी।और समय के साथ पत्तों का आकार भी छोटा होता जाएगा।
- यदि पेड़ के तने के दोनों तरफ शाखाएँ एक दूसरे से बराबर निकलती हुई दिखती हो।तो एक को छांट दें।
- जैसे आपने छत पर जाने वाली घुमावदार सीढ़ियां देखी होगी।इस पेड़ की टहनियों का दृश्य कुछ ऐसा ही बनाने की कोशिश करें।
- यदि कोई अजीब सी दिखने वाली टेढ़ी-मेढ़ी शाखा हो तो उसे काट दें।
- बोंसाई के ऊपर वाले हिस्से में भी यदि कोई मोटी शाखा हो तो उसे काट दें।
- तने के अंदर की ओर मुड़ती हुई शाखाएँ भी छांट देनी चाहिए।
वायरिंग
- बोंसाई वृक्षों को आकार देने के लिए अल्युमिनियम और कॉपर के वायर इस्तेमाल किए जाते हैं।
- किसी शाखा को आकार देने के लिए तार लपेटने से पहले आप उस तार की लंबाई का परीक्षण कर लें।
- तार को पेड़ की टहनियों पर तिरछा लपेटें।
- बोंसाई की वायरिंग करने के पश्चात आप इसकी टहनियों को अपना मनचाहा आकार दे सकते हैं। पर ध्यान रहे कि आप हल्के अंगूठे के के बल से इस कार्य को करें।अन्यथा आप इस छोटे पेड़ को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- पेड़ की वृद्धि के समय पर अपनी पैनी निगाह रखें। इसकी वृद्धि के समय इसके तारों को हटाना सुनिश्चित कीजिए।अन्यथा पेड़ की शाखाओं पर तारों के निशान रह जाएंगे।
- बनयन ट्री बोंसाई से निकालने वाली लटकती हुई जड़ो को स्ट्रॉ में डाल कर सुडौल बनाया जा सकता है।

तने की मोटाई कैसे बढ़ाएं?
वट वृक्ष का बोंसाई अगर वास्तविक पेड़ जैसे तने का आकार लिए होता है। तो वह देखने में अधिक आकर्षक लगता है।
बोंसाई के तने को मोटा आकार देना एक लंबी और समय के साथ पूर्ण होने वाली प्रक्रिया है।
तने को घना बनाने के लिए शुरुआती समय में आप इस पेड़ को किसी बड़े गमले में लगा सकते हैं।या अपने गार्डन की मिट्टी में भी रोप सकते हैं।
आपके मनचाहे आकर का तना हो जाने के बाद आप इसकी बनावट पर ध्यान दे सकते हैं।
सतही जड़ें कैसे विकसित करें ?
बोंसाई को प्राकृतिक परिदृश्य देने के लिए उसकी सतही जड़ें एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। जिन्हें नेबारी कहा जाता है।
जड़ों की मोटाई को संतुलित आकार देने के लिए पेड़ की रीपोटिंग करते वक्त लंबी बढ़ी हुई जड़ों को छांट दें।
तने के आधार पर वायर से एक छल्ला बनाकर कस दें। यह तार आप जड़ों से बिल्कुल ऊपर, पेड़ के तने पर बांधे। समय के साथ तने की मोटाई और जड़े भी समृद्ध होती जाएंगी।
बनयन बोंसाई ट्री बनाने के लिए कौन सी मिट्टी बेस्ट है?
वट वृक्ष का बोंसाई तैयार करने के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है। कोशिश कीजिए मिट्टी को हल्का रखे।ताकि पौधे को दिया हुआ अतिरिक्त पानी गमले से बाहर निकल सके।
इसके लिए आप 3 भाग गार्डन की मिट्टी और 1 भाग कोकोपीट ,और एक भाग कम्पोस्ट ले सकते हैं। खाद का उन्नत मिश्रण पौधे को वृद्धि में सहायक होगा।
जरा सोचिये,आप गमले में पौधे को जंगल जैसा फैलाव देना चाहते है। तो गमले की मिट्टी जंगल के वातावरण के अनुरूप ही उपजाऊ होनी चाहिए।
बोंसाई के लिए कौन सा गमला बेहतर है?
वटवृक्ष के बोंसाई बनाने के लिए गमले का चुनाव एक महवपूर्ण कदम है।
मार्केट में बोंसाई प्लांट्स के लिए विभिन्न प्रकार के गमले उपलब्ध है। आप अपने वृक्ष के स्वभाव के अनुसार मिट्टी, प्लास्टिक, सिरेमिक आदि गमलों का चुनाव कर सकते हैं।
पर ख्याल रखने वाली बात यह गमले का निचला हिस्सा समतल हो,ताकि पौधे की जड़ें आसानी से फ़ैल सके।
जब आप उसे दूसरे गमले में स्थानांतरित करें।
जड़ों को नुकसान न पहुँचे उसे सुगमता से रीपोट किया जा सके। गमला पौधे की लम्बाई के ⅔ हिस्से से ज्यादा ऊँचा नहीं होना चाहिए।

कटिंग से बोंसाई कैसे बनाएं?
कटिंग से बनयन ट्री को उगाना भी कारगर तरीका है। कटिंग लगाने का आदर्श समय बसंत के बाद और गर्मियों का मौसम है।
इसके लिए किसी भी वट वृक्ष की 2 या 3 इंच की टहनी लीजिए। उसे रोपने वाली जगह पर तिरछा काटिए।
पोटिंग मिक्स में 1 इंच गहरे रोप दें। मिट्टी की नमी बनाये रखिये। कुछ ही समय में कटिंग की वृद्धि होने लगेगी।
बनयन बोंसाई ट्री में कीट लगे तो क्या करें?
वटवृक्ष को बोंसाई का आकार देकर सुंदर संरचना के रूप में घर में रखना चाहते है। तो कीटों से सुरक्षा के उपाय भी अपनाने होंगे। लम्बे समय तक यह पौधा स्वस्थ बना रहे। इसके लिए बोंसाई पौधे के देखभाल की कुछ टिप्स आपको फॉलो करने होंगे।
बोंसाई को लगाने के लिए स्वस्थ मिट्टी का मिक्स तैयार करें।पौधे की एकदम से पीली हो चुकी पत्तियाँ इस बात का समर्थन करती है। कि पौधे को बहुत अधिक पानी दिया जा रहा है।
ज्यादा और कम उर्वरक और पानी देने की स्थिति में पौधे की पत्तियाँ धीमी चाल से पीली होकर गिरने लगती हैं।
बरगद का पेड़ धूप के प्रति सहनशील वृक्ष है। धूप न मिलने के कारण पौधे पर कीटों के आक्रमण को आमंत्रण होग
बनयन बोंसाई ट्री को कीटों से बचाने का शानदार तरीका है। नीम स्प्रे का छिड़काव,महीने में एक बार इसका छिड़काव पौधे की सुरक्षा की गारंटी।
वटवृक्ष के बोंसाई का रखरखाव व समस्याएं
बनयन बोंसाई ट्री की देखभाल के लिए प्रो टिप इस प्रकार है।
इस पौधे को सघन बनाने के लिए आपको इसे सूरज की भरपूर रोशनी देनी होगी। यह इनडोर प्लांट्स की तरह घर के अंदर नहीं रखा जा सकता।
इस पौधे को अच्छा विकास देने के लिए भरपूर पानी दीजिए।पर हाँ,अति हर वस्तु की अनुचित है।
वटवृक्ष की बोंसाई में गर्मियों के मौसम में 15 दिन में एक बार खाद दी जा सकती है।और सर्दियों के मौसम में प्रति सप्ताह खाद देनी चाहिए।
बोंसाई को मनभावन आकार देने के लिए दो-तीन साल तक इस पौधे को अपने मूल स्वभाव से बढ़ने दीजिए।
उसके बाद इस पेड़ की पत्तों की छंटाई शुरू करें।9 ,10 पत्तियाँ आने के बाद दो तीन पत्तियों को छांट दीजिए। तारों से इसकी टहनियों को जादू जैसी संरचना में ढाला जा सकता है।
बनयन बोंसाई ट्री को प्रत्येक दूसरे वर्ष दूसरे गमले में स्थानांतरित करें और इसकी निचली जड़ों की छंटाई करें।
निष्कर्ष
किसी भी वृक्ष की बोंसाई बनाना अपने आप में मेडिटेशन करने जैसा है। यह प्रक्रिया आपको धीरज और समय के साथ फल प्राप्त करने के महत्व को समझने में सहायक होगी। सही देखभाल और संतुलन से आप बनयन बोंसाई ट्री बना सकते हैं। अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें और अपने अनुभव साझा करने से ना घबराएं
सन्दर्भ
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