क्या आपने कभी सुंदर पीले फूलों के पेड़ पर लगती हुई अमलतास की फली को देखा है। यह पेड़ न केवल हमारे आसपास के प्राकृतिक वातावरण की शोभा को बढ़ाता है। आंखों को सुकून देता है। बल्कि हमारे स्वास्थ्य को निरोगी बनाए रखने में भी लाभदायक है।
क्या आप जानते है? कि इस भूरे रंग की फली में कितने रहस्य छुपे हैं? इसके औषधीय गुणों पर विभिन्न वैज्ञानिक अनेक प्रकार के अनुसंधान कर रहे हैं।और पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हम अमलतास की फली के बारे में गहनता से जानेंगे। इसके परिचय, इसके औषधीय गुणों, स्वास्थ्य लाभ में इसका महत्व और अमलतास की फली से इसका पौधा कैसे तैयार किया जा सकता है इसके बारे में जानेंगे। तो लिए चलते है स्वर्ण जैसे अमलतास के अद्भुत गुणों के बारे में जानने के रोचक सफर पर।
अमलतास की फली का परिचय |Amaltas ki fali ka parichay
अमलतास एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है। जो कि भारत और पाकिस्तान आदि देशों में विस्तृत रूप से पाया जाता है। भारत के पारंपरिक और प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में अमलतास की फली का उपयोग कब्ज, जलन और त्वचा विकारों के उपचार के लिए किया जाता है। वैसे तो भारत में स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने की अनेक पद्धतियों में अमलतास की फली का उपयोग आयुर्वेद में बतलाया गया है। परंतु आधुनिक युग में जब तक किसी विषय की प्रमाणिकता शोध पर आधारित है। अनेक खाद विज्ञानियों ने अमलतास की फली पर किये गये शोध से यह जाना,कि इस फली में अनेक जीवाणु रोधी और फंगल प्रजातियों को समाप्त करने का गुण होता है।

अमलतास का वैज्ञानिक नाम और वर्गीकरण|Amaltas ka vaigyanik nam or vargikarn
अमलतास का वैज्ञानिक नाम cassia fistula एल.(लेगुमिनोसे)है।और यह fabaceae family से संबंधित है।यह पेड़ अपनी अद्भुत सुन्दरता और शोभा के लिए जाना जाता है।अमलतास का पेड़ मूलतया भारत, म्यांमार तथा बांग्लादेश और नेपाल में पाया जाता है। भारत में यह पेड़ असम, पूर्वी हिमालय और पश्चिमी हिमालय में मुख्यतः उगता है। अमलतास के पेड़ के कुछ नाम इस प्रकार है।
- Indian Laburnum tree
- Golden shower tree
- Pudding pipe tree
- Indian rain indicator tree
- Pride of Kerala
अमलतास के पेड़ की विशेषताएं |Amaltas ke ped ki visheshtaye
अमलतास का पेड़ अधिक ऊंचाई वाला वृक्ष नहीं होता हैं। इसकी पत्तियां चौड़ी चमकदार और मोटी होती है। अमलतास के पेड़ पर सुंदर गुच्छेदार पीले फूल खिलते हैं। और ऐसा माना जाता है, कि इन फूलों के खिलने के 45 दिनों बाद बारिश के संकेत मिलते हैं।
विशेषता | विवरण |
मूल निवास | भारत,म्यामांर,दक्षिणी एशिया |
जलवायु | उष्ण कटिबंधिय |
मिट्टी | उचित जल निकासी वाली |
ऊंचाई | 10 से 20 मीटर |
पत्तियाँ | बड़ी,चौड़ी,चमकदार |
फूल | सुनहरे ,पीले ,गुच्छेदार फूल |
फूलों का मौसम | अप्रैल से जून |
छाल | चिकनी ,हलके भूरे रंग की |
फली | कच्ची होने पर हरी पकने पर भूरे रंग की |
अमलतास का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व |Amaltas ka dharmik or sanskritik mahtv
अमलतास की फली और पेड़ से अनेक सांस्कृतिक व धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई है| ऐसी मान्यता है, कि यदि आपको बुरे सपने आते हैं तो आप इसकी फली को सिरहाने रखकर सोइए, इससे आपको बुरे सपनों से छुटकारा मिलेगा |ऐसा भी कहा जाता है| कि इसके फूल खिलने के 40 से 50 दिन बाद बारिश के संकेत मिलते हैं| अमलतास को जल देने से गुरु ग्रह मजबूत होता है| जैसा कि ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है, पीला रंग गुरु ग्रह को इंगित करता है| यदि आपको अपना गुरु ग्रह मजबूत करना है| तो अमलतास को जल दीजिए ,भगवान विष्णु को भी अमलतास के फूल चढ़ाए जाते हैं| घर में यदि छोटे-छोटे कीटों को दूर करना हो उसमें भी अमलतास की फलियां सहायक होती है|
अमलतास की फली का वर्णन |Amaltas ki fali ka varnan
अमलतास के पेड़ सर्दियों के मौसम में आधे हाथ के बराबर लंबी और बेलन के आकार की काले रंग की फलियां लगती है,जिनके अन्दर गुदा भरा रहता है जिसका उपयोग अनेक औषधीयों के निर्माण में और स्वास्थ्य लाभ के लिए पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
बनावट | विशेषता |
फली की लम्बाई | 40 से 50 सेंटीमीटर |
रंग | कच्ची अवस्था में हरी पकने पर भूरी |
फली की आकृति | लम्बी ,बेलनकार |
आन्तरिक प्रकृति | फली के अन्दर अनेक कक्ष होते है,जिसमे बीज और गूदा भरा होता है |
अमलतास की फली के फायदे |Amaltas ki fali benefits
अमलतास की फली तथा यह संपूर्ण पेड़ अपने आप में अनेक व्याधियों को समाप्त करने वाले चिकित्सक के रूप में प्रकृति में उपस्थित है।आयुर्वेद और उसी की तरह उपचार करने वाली अन्य प्रणालियों जैसे यूनानी चिकित्सा में भी अमलतास के फल के गूदे का उपयोग अत्यंत लाभकारी बताया गया है। पनामा की साधारण चिकित्सा प्रणाली में मधुमेह के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। तंजानिया के मोजाबिक, ब्राज़ील और जिंबॉब्वे आदि देशों की आबादी मलेरिया और उससे संबंधित लक्षणों तथा बुखार के इलाज के लिए इस पेड़ का उपयोग करती हैं, ब्राजील में इसके जड़ का उपयोग पेड़ के कीड़ों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।
Amaltas ki fali ke fayde
बुखार और वायरस जनित रोगों में लाभदायक
- आयुर्वेद के अनुसार अमलतास की फली के उपयोग से बुखार मलेरिया तथा चिकनगुनिया जैसे लंबे समय तक चलने वाले वायरस जनित रोगों से राहत मिलती है।इसके उपयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधरती है।
त्वचा रोगों में लाभकारी
- त्वचा से संबंधित रोगों में अमलतास की फली के उपयोग से राहत मिलती है। इसकी फली के गूदे में अनेक जीवाणु रोधी, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा का पोषण करते हैं, और अनेक प्रकार की संक्रमण संबंधी बीमारियों से रक्षा करते हैं।खुजली,सुजन जैसी समस्याओ से राहत देता है ।
गले और पाचन तंत्र से सम्बंधित रोगों में आराम
- गले से संबंधित रोगों में आराम ,अमलतास की फली के गूदे का काढ़ा बनाकर पीने से गले के दर्द में राहत मिलती है। यदि गले में टॉन्सिल्स हो तो गूदे का लेप करने से भी लाभ मिलता है।अमलतास की फली का गूदा पेट दर्द में राहत पहुचाता है ,और बवासीर से आराम देता है।
- अमलतास की फली के गूदे के प्रयोग से कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं में बहुत राहत मिलती है, अमलतास एक मृदु रेचक है। जो आंतों में फसे ,जमे हुए मल को शरीर से बहार निकालने में प्रभावी औषधी है ।
अमलतास की फली की खेती |Amaltas ki fali ki kheti
अमलतास की खेती के लिए गर्म जलवायु अधिक उपयुक्त होती है ।अमलतास का पेड़ साधारण तैयार 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक के वातावरण में अच्छी तरह से फलता फूलता है।अमलतास के बीज को साधारण रूप से बलुई या दोमट मिट्टी में बोया जा सकता है।

अमलतास की फली से पौधा कैसे तैयार करें ?|Amaltas ki fali se poudha kaise taiyar kare?
अमलतास के फली में अनेक कक्षों में बीज पाए जाते हैं ।अमलतास की फलियों को तोड़ना आसान नहीं है, ये काफी मजबूत होती है। जब आप फलियों में से बीज निकाले, तो उन बीजों को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें ,ताकि अंकुरण की प्रक्रिया तेज और प्रभावी हो, और निम्न चरणों का पालन करें।
- पौधे के लिए क्यारी तैयार करें।
- बीच को 1 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं और उसे पर हल्की सी मिट्टी डाल दे।
- पानी से हल्की सी सिंचाई करें।
- आप देखेंगे की 15 से 20 दिनों के अंदर अंकुरण शुरू हो जाएगा।
अमलतास के पेड़ का रखरखाव कैसे करें ?|Amaltas ke ped ka rakhrakhav or dekhbhal kaise kare?
अमलतास के पेड़ की देखभाल करने के लिए आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है, जो निम्न प्रकार से दी हुई है ।
पौधे की देखभाल | विवरण |
सिंचाई | गर्मियों में पौधे को आवश्यकता अनुसार पानी दे सकते है,जब पौधे की मिटटी सूखी लगे। सर्मेंदियों में हफ्ते में एक बार पानी देवे । |
खाद | वर्ष में दो बार गोबर और जैविक खाद का प्रयोग करे |
कीटों पर नियंत्रण | कीटों पर रोक के लिए नीम के तेल का छिडकाव करें |
कटाई छटाई | सूखी और रोग लगी हुई शाखाओ को समय पर काटते रहे |
अमलतास की फली का आधुनिक समय में दवाओ में किया जाने वाला उपयोग|Amaltas ki fali ka adhunik samay me dawao me kiya jane wala upyog
अमलतास की जीवाणुरोधी और एंटीबक्टीरियल ,और एंटी एजिंग गुणों की प्रचुरता के कारण अमलतास की फली का ऊपयोग आधुनिक हर्बल दवाओ के निर्माण में किया जाने लगा है,आइये जानते है कुछ उपयोगो के नाम जिनमें इस फली का काम दवा निर्माण में लिया जाता है ।
रोग | अमलतास की फली का उपयोग |
कब्ज निवारक | रेचक गुणों के कारण यह पेट से सम्बंधित रोगों में आराम देती है ,पचने में आसान |
सौंदर्य प्रसधाको के निर्माण में | त्वचा पर खाद ,फोडे,को दूर करे |
एंटी एजिंग | इसका उपयोग त्वचा को मुलायम बनता है |
बालो के लिए हितकारी | बालो में रुसी की संक्रमण की समस्या को दूर करने में सहायक |
अमलतास का पर्यावर्णीय महत्त्व |Amaltas ka paryavarniy mahatv
- अमलतास का पौधा आप अपने घर के आंगन, या गार्डन में लगा सकते हैं |यह एक कम देखभाल मांगने वाला पौधा है| जो की शुष्क प्रदेशों में भी बहुत आसानी से बढ़ जाता है|
- अमलतास का पेड़ वायु को शुद्ध करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| इस पेड़ की घनी छाया में पशु, पक्षी तथा व्यक्तियों को राहत मिलती है |
- गर्मियों में तो हमारे घर के पास जो अमलतास का पेड़ है, सभी छोटा-मोटा सामान और फल सब्जी बेचने वाले लोग इस पेड़ की छाया में अपने जीविका अर्जन करते हैं|
- अमलतास की लकड़ी का प्रयोग वाद्य यंत्रों में और फर्नीचर बनाने के लिए भी किया जाता है| अमलतास का वृक्ष मिट्टी के कटाव को रोकने में सहायक है |
- इसके सुंदर फूल तितलियों और मधुमक्खियों को भी आकर्षित करते हैं जो कि जैव विविधता को बढ़ाता है|
अमलतास के उपयोग में की जाने वाली सावधानियां|Amaltas ke upyog me ki jane wali sawdhaniya
अमलतास के पेड़ में लैक्सेटिक गुण होते हैं जिन्हें रेचक कहा जाता है। जो की आँतो को साफ करने में सहायक है।यदि डायरिया की स्थिति हो तो अमलतास का उपयोग स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता, दस्त लगने की स्थिति में भी अमलतास का उपयोग नहीं करना चाहिए। अमलतास की तासीर ठंडी होती है। इसलिए जिन्हें भी कफ की समस्या रहती है, वह अमलतास के अधिक सेवन से बचें।और किसी वैध के उचित परामर्श से ही अमलतास का सेवन करें। वैसे आयुर्वेद में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार यदि आप किसी आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग एक छोटे अंतराल के लिए या कभी-कभी करते हैं। तो वह आपको इतना नुकसान नहीं पहुंचता,लेकिन अगर आप लंबे समय तक बिना किसी सलाह के उस दवा का उपयोग करते हैं। तो वह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए बिना किसी परामर्श के किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग लंबे समय तक करने से बचें।
Nishkarsh
अक्सर जब हम पेड़ों के पास से गुजरते हैं। तो हमें ज्ञान ही नहीं होता कि यह कौन सा वृक्ष है। ना हमें उन वृक्षों के नाम पता होते हैं। और ना उन वृक्षों की उपयोगिता।वर्तमान समय की भाग दौड़ वाले जीवन में जहाँ व्यक्ति को समय ही नहीं है सेहत के प्रति जागरूक होने का ,अमलतास की फली और इसका साधारण सा लगने वाला अमलतास का पेड़ आपको अनेक छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्याओ से बचा सकता है । आप भी अपने घर या पास के गार्डन में इस पेड़ को जरूर लगाएं। क्या आपने कभी अमलतास की फली का उपयोग किया है? हमें कमेंट में बताएं!
Reference
Amaltas ki fali ke fayde https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0753332221010246
Amaltas ki fali se hone wale swasthy labh https://link.springer.com/chapter/10.1007/978-3-030-16807-0_57