Neem ka Ped|नीम का पेड़


Neem ka ped (Azadirachta indica )

नीम  भारतीय मूल का वृक्ष है।भारत में सदियों से वृक्षों को भी परिवार के सदस्यों सी महत्ता प्राप्त है ।और नीम तो हमेशा से ही सबसे सस्ती दवा  की दुकान रहा है। आयुर्वेद में नीम को बड़े सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।और हो भी क्यों न बच्चों की चोटों  के उपचार से लेकर कृषक के खेत की फसल तक नीम  सबकी देखभाल करता है। यह महोगनी परिवार से  समबंध रखता है। और जल्दी और तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है । यह 15 से 20 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ता है । अधिक तापमान सहने के कारण यह बंजर भूमि पर भी आसानी से उगाया जा सकता है।नीम की छाल  कठोर और  दरारयुक्त होती है।इसका फल चिकना ,अंडाकार होता है जिसे निम्बोली कहते है।

Neem ke ped ka mahtva

नीम के पेड़ के नाम से ही आजकल की युवा पीढ़ी को कड़वाहट का अनुभव होता है।नीम की पत्तियाँ व छाल,इनका स्वाद जितना कड़वा होता है उतना ही गुणकारी भी होता है।भारत में पुरातन काल से ही बड़े बुजुर्ग इसकी टहनियों का दातुन के रूप में प्रयोग करते थे,खाली पेट इसकी पत्तियों का भी सेवन करते थे।यह एक ऐसी औषधि है जो सभी रोगों का नाश करती है,इसलिए भारतीय वेदों में नीम को सर्व रोग निवारिणी कहा गया है।इस पेड़ की पत्तियाँ,टहनियाँ और छाल कई गम्भीर बिमारियों का उपचार करती है।नीम में एंटी फन्गल,एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते है।नीम की पत्तियों को चबाने से रक्त शोधन होता है,त्वचा से सम्बंधित रोगो व बच्चों में पेट के कीड़ो को समाप्त करने में नीम की पत्तियाँ सहायक है।

neem ka ped
त्वचा से सम्बंधित रोगों में कारगर औषधी

Neem ka ped kaise lagaye?

नीम के पेड़  को  लगाने  के  लिए नीम की निम्बोली का उपयोग किया  जा सकता है। आप घर की  साधरण मिट्टी में  भी नीम का पेड़ उगा सकते है।निम्बोली से अगर आप  नीम का पेड़ लगाना चाहते है तो निम्बोली लाने के बाद उसे कुछ  देर धूप में रखें।नमी  में रहने से उसमें फंगस लगने का खतरा रहेगा,उसके बाद  आप  किसी भी गमले या ग्रो बैग में निम्बोली लगा सकते  है। गमले या बैग को मिट्टी से भर दें और मिट्टी  में नाखून जितनी गहराई में निम्बोली रोपित कर दें और उसके ऊपर हल्की से मिट्टी डाल दें।प्रयास किजीए  एक गमले में 8,10 निम्बोली  लगाए उसमें से 5 ,6 अवश्य अंकुरित हो जाएंगी।

Neem ke ped ki utpatti kaha hui ?

नीम का पेड़ बिना नखरों वाला देसी भारतीय पेड़ है। इसे ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। इसका ऊद्धव भारत,पाकिस्तान,थाईलैंड,बर्माऔर नेपाल में माना जाता है ।

लेकिन जब अंग्रेज भारत में अपने शासन काल के दौरान भारतीयों को गुलाम बनाकर फिजी देश में खेतों में मजदूरी करवाने के लिए लेकर गए थे।उसी समय भारतीय लोग नीम के बीज भी अपने साथ लेकर चले गए थे।और क्योंकि नीम सभी वातावरणीय परिस्थितियों में अनुकूलन करने की क्षमता रखता है।फिजी की उष्ण जलवायु में नीम के वृक्ष बढ़ने लगे,तथा उसके पश्चात ही दक्षिणी प्रशांत दीप देशों में भी और पश्चिमी देशों में भी इसका विस्तार हुआ।

नीम का लैटिन नाम Azadirachta Indica है। जो की फारसी से लिया गया है।जिसमें Azad से अभिप्राय है मुक्त होना, Dirakth का अर्थ है पेड़, और  indica से अर्थ है भारत से सम्बंधित।

मतबल Free tree of India ।

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