भारत जैसा ज्ञान में समृद्ध देश,जिसमे जीवन हर क्षेत्र में काम आने वाले ज्ञान पर शास्त्र लिखे गए हैं।लेकिन शहरी माहौल में रहने के कारण हम अपने जीवन की प्रभावी शक्तिशाली औषधीयों को भूल गए हैं।
जिनके सेवन से चिरकाल तक हमारे पूर्वज युवा और प्रखर बुद्धि के मालिक बने रहे।अभी तो सिर्फ हम नीम और तुलसी तक सिमट कर रह गए हैं।जबकि कई ऐसे दुर्लभ औषधीय पौधे हैं,जो देखने को भी नहीं मिल रहे हैं।
इनके रोजाना upyog से आप भी अच्छे स्वास्थ्य का खजाना पा सकते हैं,और दूसरों को भी प्रेरित कर सकते हैं,इन दुर्लभ पौधों को सहेजने के लिए।
अगर आप जानने के इच्छुक है,ऐसे जादुई पौधों को,जिनके बारें में अपने सिर्फ किताबों में पढ़ा होगा। लेकिन आप आसानी से इन्हें अपने गार्डन या बालकनी में लगा सकते हैं।
तो पढ़िए इस पोस्ट को
1सफ़ेद मूसली(सफ़ेद सोना)

सफ़ेद मूसली का परिचय और पहचान
सफ़ेद मूसली का वानस्पतिक नाम (Chlorophytum Borivilianum) है। देखने में ये पौधा स्पाइडर प्लांट की बनावट लिए होता है।लम्बी,हरी धारदार पत्तियाँ होती हैं,और इसके फूल आपको रजनीगंधा के फूलों का सा एहसास देंगे।यह पौधा लिलियेसी कुल से सम्बंधित है।
इसकी जड़ें खासतौर पर दिव्य और औषधीयुक्त मानी जाती है।जो अंगुली के आकार जैसी दिखाई देती हैं,और सफ़ेद रंग की होती हैं। ये पौधा 1 डेढ़ फीट लम्बा बढ़ता है।
सफ़ेद मूसली इतनी दुर्लभ क्यों है?
आयुर्वेद में सफ़ेद मूसली को चमत्कारी औषधी की तरह वर्णित किया गया है।देसी दवाइयां बनाने वाली कम्पनियाँ इसका दोहन करने में लगी हुई हैं।
एक तो इस पौधे की बेतहाशा मांग होने के कारण,इसकी कटाई अंधाधुंध होने लगी है।और इसे उगाने वाले लोगों की संख्या सीमित है। फिर इसे बीज से उगने और तैयार होने में दो साल का समय लगता है।इसलिए इसे जड़ों से ही तैयार करना,जल्दी उगाने के लिए लाभकारी है।
कुछ रिसर्च बताती है।कि भोपाल के वन क्षेत्रों में सफ़ेद मूसली प्राकृतिक रूप से उगती है, जो अब लुप्त होती जा रही है।
कारण है वहां के निवासी आय का अच्छा साधन होने के कारण इसके पौधों को तेजी से काटने, और कटाई में सावधानी न होने के कारण छोटे बड़े सभी पौधों को नुकसान होता है।
इस पौधे की प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, ताकि हमारे ये दुर्लभ औषधीय पौधे अनंतकाल तक बचे रह सके।
सफ़ेद मूसली के फायदे(Safed Musli Benefits)
सफ़ेद मूसली महिलाओं और पुरुषों के लिए समान रूप से हितकारी है। विशेषकर यौन समस्याओं का निराकरण करने वाली बेस्ट मेडिसिन है।पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी,इरेक्टाइल डिसफंक्शन,यौन क्षमता को बढ़ाने वाली बूटी है।
एंटीओक्सिडेंट गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।शरीर में तनाव के स्तर को कम करके मानसिक शांति प्रदान करती है।
हार्मोन संतुलन को बनाएं रखने में प्रभावी है,और सेपोनिन और फाइटोकैमिकल तत्व जोड़ों के दर्द और घुटने के दर्द में आराम देते हैं।

सफ़ेद मूसली को घर पर उगाने के बागबानी टिप्स(Growing Tips)
- इस पौधे को आप आराम से घर पर उगा सकते हैं। बस इन बातों का ध्यान रखें।
- साधारण 10 से 12 इंच के गमले में आप इसे लगा सकते हैं।
- गमले के लिए मिट्टी(25 %रेतीली मिट्टी,50 %गार्डन साइल,25 %कम्पोट या गोबर खाद और थोड़ी से नीम खली मिला कर तैयार करें।
- इसमें 1 से डेढ़ इंच की गहरे पर सफ़ेद मूसली की सूखी जड़ को जून जुलाई में लगाएं।
- पौधे को नियमित पानी दें जब मिट्टी सूखी हो तभी।
- पौधे को अच्छी धूप में रखें।
- लगभग 3 से 4 महीने बाद पौधे की जड़ें तैयार हो जाती हैं।
- जब पत्तियाँ पीली हो जाएं तो पौधे की जड़ निकाल लें।सुखा कर संरक्षित करके रख लें।
- अगले साल इन्ही से आप फिर से पौधा तैयार कर सकते हैं।
सर्पगंधा(Sarpgandha-The Anti Stess Plant)

सर्पगंधा परिचय और पहचान
सर्पगंधा जैसा की नाम से ही लग रहा है। इसकी जड़ें सांप की तरह घूमी और मुड़ी हुई दिखती है। बहुत ही दुर्लभ और मुश्किल से दिखने वाला पौधा है।
यह एपोसिनेसी परिवार से सम्बंधित पौधा है। और वानस्पतिक नाम(Rauwolfia serpentina)है।
लंबे,चौड़े हरे पत्ते और देखने में मन मोह लेने वाले फूल इस पौधे पर लगते है।
लगभग 1 मीटर तक लम्बा होता है।
और फल पहले हरे और पकने पर बैंगनी,गहरे काले रंग के हो जाते हैं।
सर्पगंधा दुर्लभ क्यों है?
मूलतः यह पौधा भारत में शिवालिक रेखा की पहाड़ियों पर पाया जाता है।(हिमालय की घाटियों में)
इसकी जड़ो में रिसर्पिन नामक औषधीय तत्व के कारण इसे भयंकर रूप से जड़ सहित काटा गया,और इस तरह काटने से पौधे का पूर्णतया विनाश हो जाता है।बीज से इसे बनने कई साल का समय लग जाता है।
इसी कारण IUCN ने इसे संरक्षित करने और इसकी कटाई पर रोक लगाई है।
अब जंगल घटते जा रहे हैं,और इस पौधे का प्राकृतिक आवास भी खतरे में है।
सर्पगंधा पौधे के फायदे(Sarpagandha Benefits)
- यह पौधा मानसिक रोगों के उपचार में लाभकारी है।

- उच्च रक्तचाप,नींद न आने की दिक्कत आदि में फायदा करता है।
- तनाव,चिंता,अवसाद आदि रोगों में चमत्कारिक रूप से फायदा करता है।
- पागलपन,उन्माद जैसे रोगों में मन को शांत करने में लाभकारी है।
सर्पगंधा को घर पर लगाने के बागबानी टिप्स(Sarpgandha Ki Dekhbhal In Hindi)
- इन दुर्लभ पौधों को अपने गार्डन में जगह दे कर आप प्रकृति का संरक्षण और भारत के निवासी पौधों को बचाने का शुभ कार्य भी करेंगे।
- अच्छे और स्वस्थ पौधों के लिए आप इसे बीज से लगाएं।
बरसात के शुरू होने से पहले बीजों को मिट्टी में 1 इंच की गहरे तक बोयें।
- इसका पौधा लगाने के लिए 12 से 15 इंच तक मिट्टी का गमला लें।
- इसके लिए बलुई मिट्टी अच्छी रहेगी। इसमें,कम्पोस्ट और गोबर की खाद मिला कर साइल मिक्स तैयार कर लें।
- 2 साल में ये पौधा आपको बीज देने लगेगा,उन्हें संरक्षित करें,और इससे आप नया पौधा तैयार कर सकते हैं।
- इस पौधे में कोई कीट पतंग नहीं लगते।
- जैसा कि किसानों के इंटरव्यू में मैने देखा
शतावरी(The Women’s Herb)
शतावरी का पौधा कैसा होता है?

शतावरी एक बेल की तरह बढ़ने वाला पौधा है।लगभग 1 से 2 मीटर की ऊंचाई तक इसकी बेल बढ़ती है।
इसके पत्ते छोटी सुई जैसे मोटे,नुकीले काँटों की तरह दिखते हैं।
सितम्बर और अक्तूबर के माह में बेल पर फूल लगते हैं,और फिर उन्ही पर छोटे मटर के जैसे फल लगते हैं।
अल्मोड़ा में तो इन फलों की सब्जी बनाई जाती है।
शतावरी भारत के हिमालय पर्वतमाला में पाया जाने वाला पौधा है।इसका वानस्पतिक नाम Asparagus racemosus है।और ये लिलिएसी कुल का पौधा है।
इस पौधे की जड़ें 1 या दो नहीं बल्कि 100 की संख्या में होती है।इसलिए इसे सतमूली भी कहा जाता है।
शतावरी इतना दुर्लभ क्यों है?
इस पौधे का सबसे महत्वपूर्ण अंग भी इसकी जड़ें हैं।सभी प्रकार की कामोत्तेजक,वजन बढ़ाने और हारमोंस का संतुलन बिठाने वाली दवाइयों में इसका भरपूर upyog किया जाता है।
वैसे इस पौधे की औषधीय खेती भी की जाती है,और इसकी मांग बाज़ार में बहुत ज्यादा है।
इस पौधे के प्राकृतिक आवासों में मनुष्यों का हस्तक्षेप इसकी नेसर्गिक उपज में विघ्न तो डालता ही है।
फिर मांग के कारण जड़ों की जल्दबाजी में की गई कटाई से पौधे को भी नुकसान होता है।
हालाँकि अब कुछ किसान शतावरी की खेती करने लगे हैं।तो इससे जरुर इसकी उपज को बढ़ावा मिला है।
शतावरी के पौधे के फायदे(Shatavari Benefits)
शतावरी को स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी दवा के रूप में प्रचारित किया जाता है।और ये है भी
प्रसव के समय दूध की कमी में इसके सेवन से लाभ मिलता है।
महिलाओं में हार्मोन के स्तर में सुधार आता है।
पुरुषों के शुक्राणुओं की कमी,यौन रोगों में लाभ,
कमजोर शरीर को पुष्ट बनाने में शतावरी का upyog आयुर्वेद में वर्णित है।
शतावरी की दवाइयां अमेज़न और दूसरे ऑनलाइन मंचों पर आसानी से उपलब्ध है।
शतावरी का पौधा घर पर कैसे लगाएं?(Growing Tips)

- शतावरी को घर पर लगाना आसान है।लेकिन इस पौधे में खास बात यह होती है,कि इसकी 1 से डेढ़ फीट बढ़ने वाली जड़ों को सोच कर पौध तैयार करना।
- या तो आप इसे सीधे मिट्टी में लगा दीजिए,और अगर गमले में लगाने के इच्छुक है,तो 15 से 20 इंच का गमला लीजिए।
- बीज से या किसी विश्वसनीय नर्सरी से आप इसका पौधा ला कर लगा सकते हैं।
मार्च,अप्रैल इस पौधे को लगाने का अच्छा समय है।राजस्थान जैसे गर्म जलवायु में भी शतावरी का पौधा खूब फलता फूलता है।
- गमले की 50 %मिट्टी में 25 %गोबर की खाद,25%कम्पोस्ट मिला का मिट्टी बना सकते हैं।
- ध्यान रहे ये एक बेल है,तो ऊपर बढ़ने के लिए आपको इसे सहारा देना होगा।
- औषधीय पौधों को फव्वारे से पानी दें ताकि उनकी मिट्टी नरम रहे।
ब्राह्मी(The Memory Booster)
ब्राह्मी पौधे को कैसे पहचाने?

ब्राह्मी एक दिव्य पौधा है।जिसके नाम में ही ब्रम्हा का सार है।
खास तौर पर मस्तिष्क को मजबूत बनाने और स्मरण शक्ति को लम्बे समय तक स्थिर बनाएं रखने के लिए मशहूर है।
इसका वानस्पतिक नाम (Bacopa monnieri) है,और यह प्लांटेजिनेसी कुल का पौधा है।
ब्राह्मी,मिट्टी में रेंग कर बढ़ने वाला पौधा है।इसकी छोटी मांसल,गूदेदार पत्तियाँ होती हैं।
इस पौधे पर सफ़ेद फूल खिलते हैं।जो बीच में से बैंगनी होते हैं।
नम वातावरण मिलने पर यह पौधा जमीन को पूरी तरह ढक देता है।
ब्राह्मी का पौधा किस काम आता है?
ब्राह्मी मस्तिष्क और याददाश्त को पुख्ता रखने के लिए जाना जाता है।
ब्राह्मी को एडोप्टोजोंन माना जाता है,यानि यह आपको मानसिक थकान से बचाने और तनाव से लड़ने की शक्ति प्रदान करने वाली औषधी है।
आयुर्वेद के अनुसार ये दवा व्यक्ति का मानसिक रूप से कायाकल्प करने वाली रामबाण दवा है।
क्या हम घर पर ब्राह्मी उगा सकते हैं?(Brahmi Growing Tips)

- जी बिलकुल,और ऐसे विशुद्ध भारतीय पौधों को तो सभी को अपने बाग में जगह देनी चाहिए।
प्रकृति का संरक्षण मनुष्य का सर्वोच्च धर्म है।हम प्रकृति के साथ रहने के लिए ही बने हैं।
- ब्राह्मी को गीला और नम वातावरण पसंद है।
- चौड़ी ट्रे जैसे गमले में भी आप इस पौधे को लगा सकते हैं,क्यों कि यह पौधा ज़मीन पर फैलता चला जाता है।
- गोबर की खाद मिला कर मिट्टी तैयार करें,
- इसे आप cutting और बीज दोनों से उगा सकते हैं।
- ब्राह्मी का पौधा प्रकाश में रखें लेकिन तेज धूप से बचाएं।
- इस पौधे को पानी पसंद है,इसलिए मिट्टी सूखने न दें।
निष्कर्ष
सफ़ेद मूसली,सर्पगंधा,शतावरी और ब्राह्मी भारत में पाए जाने वाले कुछ अमूल्य पौधे हैं,जो अब दोहन का शिकार हो चले हैं।अपने मूल निवास स्थान पर तो ये पौधे ऐसे ही उग जाते हैं।भारत के ऋषि मुनियों ने अनुसन्धान करके इनके गुणों की खोज की,जो अब लोगों के रोगों के निवारण और स्वास्थ्य में लाभ दे रही हैं। लेकिन उससे इन पौधों के जीवन पर संकट तो है ही।इसलिए इन विलुप्त होते पौधों को पहचाने,और सजावटी पौधों के साथ इन्हें भी अपने बाग बगीचे में लगा कर प्रकृति के साथी बनें,अगर आपके पास ये पौधे है।तो अपना अनुभव साझा करने में शंका न करें।
सामन्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न
सफेद मूसली, सर्पगंधा, सतावर और ब्राह्मी दुर्लभ क्यों हो रहे हैं?
सफ़ेद मूसली और सतावर की जड़ों को ही दवा के रूप में काम में लिया जाता है,और जहाँ ये पौधे उगते हैं वहाँ इनकी जड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण ये पौधे अपने प्राकृतिक आवासों में सिमटते जा जा रहे हैं
क्या मैं इन दुर्लभ औषधीय पौधों को अपने घर के गमले में उगा सकता हूँ?
हाँ बिलकुल,बस आपको इन पौधों की धूप और पानी की जरूरतों का ध्यान रखना होगा जैसे शतावरी गर्म माहौल में भी पनप जाती हैं धूप सह सकती है जबकि ब्राह्मी को नम वातावरण,आंशिक धूप चाहिए होती हैं
इनमें से कौन सा पौधा तनाव को कम करने में सहायक है?
सर्पगंधा उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है और मानसिक रोगों में लाभ पहुचाने वाली औषधी है
और सफेद मूसली भी एडोप्टोजेनिक गुणों को धारण करने के कारण तनाव को कम करने में सहायक है
इन पौधों के बीज और जड़ें कहाँ से लें?
किसी भी विश्वसनीय औषधीय पौधों के ऑनलाइन स्टोर से आप इन पौधों को खरीद सकते हैं
अपने स्थान के सरकारी नर्सरी केंद्र या आयुर्वेद अनुसन्धान केंद्र से आप इन्हें खरीद सकते हैं
भारत में कई किसान भी है जो इन आयुर्वेदिक पौधों की नर्सरी भी लगाते हैं आप उनसे भी संपर्क कर सकते हैं
